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नवंबर 14, 2012

न बनेगें पांचाली न ही सीता~


सहा बहुत है अब न सहेंगे ,
आँसू बनकर अब न बहेंगे |
किवाड़ की ओट ले अब न सुबकेंगे ,
दीवारों की ओट में अब न दुबकेंगे |
न बनेंगे पांचाली न ही सीता ,
ढालेंगे स्वंय में अब हम गीता |
कष्टों की धारा अपनी ओर न बहने देंगे ,
नारी अबला है पुरुषों को यह नकहने देंगे|
शासित रहे हमेशा लेकिन अब न होंगे,
ईट का जवाब अब हम पत्थर से देंगे|
भूल किया है बहुत मग़र अब न करेंगे,
झुक कर देखा बहुत किन्तु अब न झुकेंगे |
हमारी कमजोरी का कोई न उठाये फायदा ,
हमारी कमजोरी को ताकत बना दे ओ मेरे खुदा |

6 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

Aachary Kashyap ----*
********************
मैया हम तो तेरी ही संतान है
हम पर सदा अपनी नज़र बनाये रखना ..
Uttam kriti.

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

धन्यवाद आचार्य भैया ..............

Jyoti khare ने कहा…

बहुत बढ़िया --
सच बात कही है ---
सादर

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह , बहुत ही बढ़िया

Piyush Parashar ने कहा…

सुन्दरतम

Piyush Parashar ने कहा…

सुन्दरतम