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दिसंबर 09, 2013

बोलने की स्वतंत्रता का फायदा ना उठाइए~अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ~


बोलने की स्वतंत्रता का फायदा ना उठाइए ......


अरे यह सब क्या बकवास लिखती हैं| आप को समझ नहीं आता,न सर, न पैर| बकवास लिखकर आप अपने को कवियत्री समझने की भूल कर बैठती हैं| दो-चार लोग वाह-वाह कापी पेस्ट कर डाल गए तो आप तो हवा में ही उड़ने लगी| आप निहायत ही बकवास लिखती हैं| जो तारीफों के पुल बाँध रहे है, वह तारीफ़ झूठी है| वह आपके लेखनी को नहीं आपको देख बोल रहे है| हम दंग थे यह सब पढ़कर ...|

फिर नारी पर क्या लिख दिए, पुरुष के अहम् को ठेस पहुँचा दिए | शुरू चौतरफा आक्रमण| कुछ नारी की हमदर्द बता गए| कुछ हम पर ही कीचड़ उछाल गए| कुछ बोल गए कि लगता हैं बेचारी बहुत दुखी हैं, पति बहुत सताता हैं, बहुत प्रताड़ित की हुई महिला है, तभी तो ऐसा लिखती हैं| कई तो अभिव्यक्ति का फायदा उठा धमकी तक दे गए कि पुरुष के खिलाफ लिखोगी तो यहाँ टिकना मुश्किल हो जायेगा|

अब लो, कर लो बात| यही बात यदि सामने कहते, तो हम भी बताते कि धमकी का जबाब क्या होता हैं| सभी ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भरपूर फायदा उठाया| हमने भी उनका जबाब इसी अधिकार के तहत दिया| बीच में यह ख्याल आया कि.....
हमें अब कुछ बोलना ही नहीं,
किसी की भी पोल खोलना ही नहीं,
अभिव्यक्ति का घोट गला चुप रहना हैं
इन्साफ के तराजू में तोलना ही नहीं|

पर कुछ अनुचित शब्दो को भी बोल गए| शायद इस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत वह मर्यादा भी भूल गए| हमने भी अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का फायदा उठाया| खूब उल्टा सीधा सुनाया, हाथ पैर चला ना पाये, अतः ब्लाक कर सफ़ेद कफ़न ओढा दिए|

यही आमने-सामने होते अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग करते तो तू-तू--मैं-मैं होते होते, पता नहीं कब लाठी-डंडे चल जाते| ना लाठी डंडे तो दो-चार हाथ मारा-मारी तो हो ही जाती|

संवैधानिक रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जो हैं, जो मन में आया वह बोलेगे| पर इस तरह से हमें सामाजिक या व्यावहारिक रूप से बोलने की स्वतंत्रता नहीं हैं| समाज में लोग इस तरह बोलें, तो एक दूजे का मुहं तोड़ देते है, और हमारी संवैधानिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता धरी की धरी रह जाएगी| लो लड़ो एक स्वतंत्रता का प्रयोग करने के बाद दुसरे अधिकार यानि क़ानूनी अधिकार के लिए|

अतः सभी से अनुरोध हैं अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग भी बड़ा सोच समझ कर करें| अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का फायदा ना उठाये|
अपनी ही चार लाइनें कहना चाहेंगे .....

लोग दूसरों पर कीचड़ उछालने से बाज क्यों नहीं आते
पहले अपना ही गिरेबान झाँक क्यों नहीं आते
यकीं हैं हमें खुद को दूसरों से बुरा ही पायेंगे
भूलें से फिर किसी पर टिप्पड़ी करके नहीं आयेंगे|...सविता मिश्रा

4 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

सार्थक प्रस्तुति

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

rakesh bhai dhanyvaad

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

prashnna bhai abhar aapka