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जून 22, 2014

====तांका ====

१..निष्ठुर नारी
तिक्त हरी मिर्च सी
बाते उसकी
जब भी बोलती वो
चोटिल ही करती|

२...जर्द पत्तिया
बेसहाय सी बिखरी
डाल से टूट
डाल पर थी हरी
हवा में बलखाती|

३..पूत लाडला
 मिट्टी में लोटकर
मटमैला हो
मस्ती में कैसे डूबा
दादा की छत्र छाया|

४....
.लाल स्याही से
हस्ताक्षर कर दे
परीक्षक जो
चढ़ जाता नम्बर
उम्र भर के लिए| .
.सविता मिश्रा

8 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ... सच बातें कहीं अं इन टाँकों में ...
लाजवाब ...

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

bahut bahut shukriya digmbar bhaiya ..saadr naman

Unknown ने कहा…

टांकों में लटकता सच

Unknown ने कहा…

टांकों में लटकता सच

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

bahut bahut shukriya madhu sis

राजेन्द्र अवस्थी ने कहा…

खूब लिखा..

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

राजेन्द्र अवस्थी भैया सादर नमस्ते ..शुक्रिया दिल से

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

सभी सुंदर तांका बने हैं
हार्दिक शुभकामनायें
स्नेहाशीष