ऐसा कुछ लिखने की चाहत जो किसी की जिंदगी बदल पाए ...मन के अनछुए उस कोने को छू पाए जो इक कवि अक्सर छूना चाहता है ...काश अपनी लेखनी को कवि-काव्य के उस भाव को लिखने की कला आ जाये ....फिलहाल आपको हमारे मन का गुबार खूब मिलेगा यहाँ ...जो समाज में यत्र तत्र बिखरा है ..| दिल में कुछ तो है, जो सिसकता है, कराहता है ....दिल को झकझोर जाता है और बस कलम चल पड़ती है |
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अगस्त 31, 2018
‘हिन्दी हाइकु’ वेबसाइट में छपे हमारे हायकु
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१
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( वीरुध= पेड़-पौधे , वनस्पति)
कुटिल शब्द ।
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जुलाई 27, 2018
दोमुँहे-
"मन की"
दोमुँहों से रहना सदा बच के
चलो जरा संभल-संभल के
निंदक तक तो सब ठीक हैं
दुरी उनसे ,जो करते पीक हैं
दोमुँहें होते हैं घातक बेहद
बचना उनसे मुश्किल है शायद
सामने मुँह पर लल्लो-चप्पो करते हैं
पीठ पीछे वही जहर उगलते फिरते हैं
सांप- छुछुंदर तो हैं आपस में दुश्मन
दोमुँहें तो आपके अपने बन छलते हैं
अतः चलना जरा उनसे संभल-संभल के
वर्ना हाथ मलते रहोगें खड़े हक्के-बक्के ।
सविता मिश्रा
यूँ ही फालतू बकवास
हो कुछ हास-परिहास😊
:)
पुरानी कविता कमेंट में पड़ी हुई आज किसी के लाइक करने पर मिला💁
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1150622668309320&id=100000847946357
दोमुँहों से रहना सदा बच के
चलो जरा संभल-संभल के
निंदक तक तो सब ठीक हैं
दुरी उनसे ,जो करते पीक हैं
दोमुँहें होते हैं घातक बेहद
बचना उनसे मुश्किल है शायद
सामने मुँह पर लल्लो-चप्पो करते हैं
पीठ पीछे वही जहर उगलते फिरते हैं
सांप- छुछुंदर तो हैं आपस में दुश्मन
दोमुँहें तो आपके अपने बन छलते हैं
अतः चलना जरा उनसे संभल-संभल के
वर्ना हाथ मलते रहोगें खड़े हक्के-बक्के ।
सविता मिश्रा
यूँ ही फालतू बकवास
हो कुछ हास-परिहास😊
:)
पुरानी कविता कमेंट में पड़ी हुई आज किसी के लाइक करने पर मिला💁
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1150622668309320&id=100000847946357
गुरु नमन
हर तरफ तो हैं गुरु बिखरें
किसको-किसको नमन करें
सीख देने वाले मिलें जहां बहुत
ओ फेसबुक हम नमन तुझे करें! #सवितामिश्रा
किसको-किसको नमन करें
सीख देने वाले मिलें जहां बहुत
ओ फेसबुक हम नमन तुझे करें! #सवितामिश्रा
जुलाई 24, 2018
लुटेरे-
समाज में और फेसबुक पर भी कई लुटेरे बैठें हैं।
पैसा हो या आपकी रचना, फटाफट से लूट लेतें हैं।
सब्ज़बाग सपनों का दिखा, करके मीठी-मीठी बात
आपकी मेहनत का फल लेकें धीरे से फूट लेतें हैं। #अक्षजा
पैसा हो या आपकी रचना, फटाफट से लूट लेतें हैं।
सब्ज़बाग सपनों का दिखा, करके मीठी-मीठी बात
आपकी मेहनत का फल लेकें धीरे से फूट लेतें हैं। #अक्षजा
24/7/2018
अप्रैल 16, 2018
रहना सीखो-
कल किसने देखा है
क्या होगा !
आज में जीना सीखो
दूजे के प्रति रुखे
अपने व्यवहार को
तुम बदलना सीखो
सोते सोते दिन बिता रहे हो
तो जरा जागना सीखो
पाप कर्म को पुन्य में
तुम तनिक बदलना सीखो
मान लो सविता की बात
हर एक क्षण तुम जीना सीखो
कल रहे, न रहें हम
आज ही सब से प्रेम से
मिल-जुलकर रहना सीखो |सविता मिश्रा 'अक्षजा'
क्या होगा !
आज में जीना सीखो
दूजे के प्रति रुखे
अपने व्यवहार को
तुम बदलना सीखो
सोते सोते दिन बिता रहे हो
तो जरा जागना सीखो
पाप कर्म को पुन्य में
तुम तनिक बदलना सीखो
मान लो सविता की बात
हर एक क्षण तुम जीना सीखो
कल रहे, न रहें हम
आज ही सब से प्रेम से
मिल-जुलकर रहना सीखो |सविता मिश्रा 'अक्षजा'
मार्च 26, 2018
हद कर दी
1. वाह भगवान् अब हद कर दी
बनाये शैतान या रब हद कर दी।
बनाये शैतान या रब हद कर दी।
2..मरीज हुए हैरान परेशान....आगे क्लिक करने पर
http://kavitabhawana.blogspot.in/2014/03/blog-post_8.html
फ़रवरी 22, 2018
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