tag:blogger.com,1999:blog-5483928155893967766.post664263922782669827..comments2023-10-14T13:17:23.800+05:30Comments on मन का गुबार : कष्ट हर एक सरलता से सहे जा रहे है-सविता मिश्रा 'अक्षजा'http://www.blogger.com/profile/16410119759163723925noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-5483928155893967766.post-63725895126808717082014-08-12T21:42:36.369+05:302014-08-12T21:42:36.369+05:30पहले ऐसे थी .....
कोमलांगी सुकोमल थे बहुत ही मगर
क...पहले ऐसे थी .....<br />कोमलांगी सुकोमल थे बहुत ही मगर<br />कष्ट हर एक सरलता से सहे जा रहे है|<br />रहम ही तो करके पाला-पोषा है आपको<br />खड़े यूँ होके तभी तो आप बोल पा रहे है|<br />ढहाए हम पर ना जाने कितने ही सितम<br />क्षमा कर आपको हम मुस्कराते आ रहे है<br />|<br />मलाल नहीं मन में ना ही कोई कडवाहट है<br />भूल सब कुछ तुझे आदर दिए जा रहे है|<br />करते नहीं हो कीमत आप जरा सी हमारी<br />सर-आँखों पर फिर भी हम बैठाते आ रहे है|<br />उड़ाते हो माखौल सदैव ही कह कमजोर<br />आपकी ही वीर गाथा हम तो सुनाते आ रहे है|कही भी वेबस नहीं थे कभी भी तनिक भी<br />सर्वोपरि फिर भी आपको ही मानते आ रहे है|<br />आइने की तरह साफ़ रही सदा नियत हमारी<br />आप ही हमें बदनीयती से देखते आ रहे है|<br />सदियों से समझते रहे अहेतुक हमें आप ही<br />हम हर रूप में आपको स्नेह-आदर देते आ रहे है| ..सविता मिश्रासविता मिश्रा 'अक्षजा'https://www.blogger.com/profile/16410119759163723925noreply@blogger.com