ऐसा कुछ लिखने की चाहत जो किसी की जिंदगी बदल पाए ...मन के अनछुए उस कोने को छू पाए जो इक कवि अक्सर छूना चाहता है ...काश अपनी लेखनी को कवि-काव्य के उस भाव को लिखने की कला आ जाये ....फिलहाल आपको हमारे मन का गुबार खूब मिलेगा यहाँ ...जो समाज में यत्र तत्र बिखरा है ..| दिल में कुछ तो है, जो सिसकता है, कराहता है ....दिल को झकझोर जाता है और बस कलम चल पड़ती है |
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अक्टूबर 02, 2013
बस चलता तो रूपये को बस में रखती हालत और हालात तो पक्का सुधरती, पर बड़ी ही प्रेमांध हुई डालर पर मुई बात सुनने को तनिक भी तैयार नहीं|सविता
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