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अगस्त 15, 2016

~कैसी आजादी ~

लगभग चौदह साल की बाली उम्र पार हो चुके आजकल के बच्चों को अपने माँ -बाप से आजादी चाहिए ! माँ-बाप्प को अपने माँ-बाप से आजादी चाहिए ! और उनके माँ-बाप को इस जिन्दगी के बंधन से आजादी चाहिए !

सरकारी नौकर को अपने अधिकारीयों के खिलाफ खुलकर बोलने की आजादी चाहिए तो अधिकारीयों को अधिनस्तों पर मनमानी और नेताओं के हस्तक्षेप से आजादी चाहिए |
नेताओं को मनमाने ढंग से काम करने और धनपशु बनने की आजादी चाहिए तो वोटर को अपने नेताओं को कुछ भी भला बुरा बोलने की आजादी चाहिए |

पत्रकारों को खुरपैची करने की आजादी चाहिए तो सम्पादक को उसकी पूंछ पकड़ मुरेड़े रहने की आजादी चाहिए |
पुलिसकर्मियों को जनता पर तानाशाही  करने की आजादी चाहिए तो जनता को उसे हर वक्त गालियाँ देने की आजादी चाहिए |

कवि-लेखकों को मनमाने ढंग से लिखने की आजादी चाहिए तो आलोचकों को येन केन प्रकारेण उनकी टांग खींचते रहने की आजादी चाहिए |
वकीलों को झूठ-सांच को अपने हिसाब से परोसने की आजादी चाहिए तो जजों को अपनी कलम की ताकत दिखाने की आजादी चाहिए |
शिक्षको को छुट्टियों पर कुंडली मारने की आजादी चाहिए तो शिष्यों को शिक्षकों से ही आजादी चाहिए |

लड़कियों को भय मुक्त माहौल में पढ़ने-लिखने, रहने की आजादी चाहिए तो लड़को को एक अदद नौकरी के जुगाड़ होने के लिए आरक्षण से आजादी चाहिए |
सत्ताच्युत पार्टी को सांप्रदायिक दंगे कराते रहने की आजादी चाहिए तो सत्ताधारी को वोटरों को लालीपाप चटाते रहने की आजादी चाहिए |

कुल मिला के सब को अपने अपने मतलब की आजादी चाहिए ही चाहिए | पर हम यह सोच सोच परेशान है कि जो गोरे अंग्रेजो से भारत की आजादी छीन काले भारतीयों के नाम लिख गुमनाम हो गए शहीद किसके लिए आजादी दिला गए; वो उनके मतलब की थी ? मतलब साफ़ है वो मतलबी न थे जुनूनी थे अपने खून से भारतीय धरती पर वन्देमातरम लिख गए |

उनकी रूहें संतुष्ट रहें इसके लिए जरुरी है कम से कम तिरंगे का तो कद्र करें हम सब |
अपनी आजादी को समझते हुए दुसरे की आजादी का भी ख्याल रखिए, मान रखिए |

संस्कारो की नींव कहाँ खोखली हो रही उसके लिए दो लाइनें ...:)
चार लड्डू, फिर दो, फिर आइसक्रीम,अब चाँकलेट हो गयी,
अमर शहीदों की दी हुई आजादी तो न जाने किधर खो गयी |


डरते थे गद्दारों से कभी
अब अपनों से डरते है
यूँ ही आजादी का जश्न
हम हर वर्ष करते है |
||सविता मिश्रा ||



सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई ....भले ही हम पूर्ण स्वतन्त्र नहीं है फिर भी बहुत बहुत शुभकामनायें ................

~हर दिल में हो देश के प्रति प्यार भरा ~~

देश की तरफ आँख उठा कर देखे दुश्मन जो कोई ,
जा पड़े आँख में हम शोला बन उसकी शामत आई।
अब तो हो चुके शहीद भारत पर क्या करें हम में से कोई
जो जिन्दा है आज उनकी तो जैसे देशभक्ति ही है खोई |

भरा है प्यार का दहकता अंगार दिल में हमारे ,

स्वदेश के प्रति सम्मान भरा अधिकार दिल में हमारे |

देश के लिए मर मिटने का जूनून था कभी दिल में हमारे ,
आज स्वप्रेम के मोह में देशप्रेम हो गया है एक किनारे |

आज देश की देख यह हालत गर्व के बजाय अफ़सोस है ,
जिसके लिए मर मिटे हम भूलकर हमें ही वह मदहोश है |

जिस देश के लिए हँसते हँसते खाई हमने अपने सीने पर गोलियां,
उसी मेरे प्यारे देश को बेच रही हैं यहाँ अराजक तत्वों की टोलियां|

खोखला कर स्वदेश को अपना ही घर माल से भर रहें हैं ये नेता
क्यों देश-भक्ति के बजाय भर गयी हैं इनमें इतनी अधिक लोलुपता |

चूमकर झूल गए थे फांसी के फंदे पर कुछ भी न निकली बोलियाँ,
उदास बहुत ये मन बढ़ता हुआ देख देश में गरीबों की खोलियां|

प्यार के बजाय दिल में धधक रही है अब ज्वाला समझो
कहीं ऐसा ना हो कि कब्र से उठकर जला दे हम तुमको | सविता मिश्रा


सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई ....भले ही हम पूर्ण स्वतन्त्र नहीं है फिर भी बहुत बहुत शुभकामनायें ................|:) :)