कपड़य नाही बा, ये हो कईसे जाई बिआहे मा
लै आई दा दुई चार ठे साड़ी, तब्बय त जाई बिआहे मा
साल दुई साल से नाय खरीदे बीता भर भी कपड़ा
दई दा न पांच हजार रुपिया, ये हो तब्बे त जाई बिआहे मा
खरच होई ग सगरा रुपिया पैसा ये ही घरे मा ही
हमरे खरचा बरचा बरे दई दा न, तब्बे त जाई बिआहे मा
अहिऐ बम्बई से ननदि और जेठानी करकत्ता से
बघारब तोहरै बखान तब्बई त ना, ये हो जाई बिआहे मा
सुघ्घड़ लागे तोहार मेहरारू चहतै त तुहू एहि न
गोटा पट्टी वारी चमकवनी साड़ी लाय द न, जाई बिआहे मा
काकी माई ताई देखिन कै हमके प्रहसन करिहै
लेय आई द न बड़के मारकेट तै साड़ी तब्बे त जाई बिआहे मा।
होई सके त एक ठू हरवा भी गढ़ाए द कड़वा कै साथे
देखाय देखाय मायके मा गदराइब हम जाई बिआहे मा।
सविता मिश्रा 'अक्षजा'
7/4/2021 को लिखी गयी।
😆😁
6 टिप्पणियां:
जैसा भी समझ आया बहुत गहरा और भावपूर्ण, बधाई जाई बिहाये मा। हरवा और कपड़ा दोनों का इंतजाम होगा।
आभार बजरंग भैया😊😊
बहुत समझ तो मुझे भी नहीं आया .... बस कुछ कपडा , साड़ी लाने कि बात है कि बिना उसके ब्याह नहीं कराएँगे ..या कहीं जायेंगे नहीं ऐसा कुछ फिर हार गढ़वाने कि भी बात तो ब्याह करा लेंगे ..... हो सकता है सब उलट पलट ही समझे हों :) :)
लेकिन पढ़ा बहुत मन से ...
आभार दीदी मन से पढ़ने और थोड़ा थोड़ा समझने के लिए।, सादर अभिवादन।
ये रहा सरल रूप😊
हिंदी अनुवाद-बजरंग सोनी भैया द्वारा
जाई बिआहे मा (अवधी)
कपड़य नाही बा, ये हो कईसे जाई बिआहे मा
कपड़ा नहीं है ऐसे में विवाह में कैसे जाऊं
लै आई दा दुई चार ठे साड़ी, तब्बय त जाई बिआहे मा
दो चार साड़ी लेकर आओ तब ही तो विवाह में जाऊं
साल दुई साल से नाय खरीदे बीता भर भी कपड़ा
साल दो साल में एक बालिस्त कपड़ा भी नहीं खरीदा
दई दा न पांच हजार रुपिया, ये हो तब्बे त जाई बिआहे मा
पांच हजार रूपये दे दो ये हों तो विवाह में जाऊं
खरच होई ग सगरा रुपिया पैसा ये ही घरे मा ही
सारे रूपये पैसे यहीं घर में खर्च हो गये
हमरे खरचा बरचा बरे दई दा न, तब्बे त जाई बिआहे मा
हमें खर्चा-वर्चा दो तो विवाह में जाऊं
अहिऐ बम्बई से ननदि और जेठानी करकत्ता से
मुम्बई से ननद और कलकत्ते से जेठानी आई हुई हैं
बघारब तोहरै बखान तब्बई त ना, ये हो जाई बिआहे मा
उनकी प्रशंसा हो रही है इसीलिए ये विवाह में जायेंगी
सुघ्घड़ लागे तोहार मेहरारू चहतै त तुहू एहि न
तुम्हारी पत्नी सुंदर लगे तुम भी यही चाहते हो
गोटा पट्टी वारी चमकवनी साड़ी लाय द न, जाई बिआहे मा
गोटा पत्ती वाली चमकदार साड़ी लावो तो विवाह में जाऊं
काकी माई ताई देखिन कै हमके प्रहसन करिहै
काकी ताई हमें देखकर मजाक करती हैं
लेय आई द न बड़के मारकेट तै साड़ी तब्बे त जाई बिआहे मा।
बड़े बाजार से साड़ी लाकर दो तो विवाह में जाऊं
होई सके त एक ठू हरवा भी गढ़ाए द कड़वा कै साथे
हो सके तो कड़े के साथ एक हार भी गढ़वा दो
देखाय देखाय मायके मा गदराइब हम जाई बिआहे मा।
पीहर में उसे दिखा दिखा कर हम गर्व करेंगे और मैं विवाह में जाऊंगी
सविता मिश्रा 'अक्षजा'
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
आभार आपका
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