ऐसा कुछ लिखने की चाहत जो किसी की जिंदगी बदल पाए ...मन के अनछुए उस कोने को छू पाए जो इक कवि अक्सर छूना चाहता है ...काश अपनी लेखनी को कवि-काव्य के उस भाव को लिखने की कला आ जाये ....फिलहाल आपको हमारे मन का गुबार खूब मिलेगा यहाँ ...जो समाज में यत्र तत्र बिखरा है ..| दिल में कुछ तो है, जो सिसकता है, कराहता है ....दिल को झकझोर जाता है और बस कलम चल पड़ती है |
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नवंबर 14, 2012
रिश्ता
क्यों ऐसा है प्यार भरा रिश्ता भी मकड़जाल में फंस जाता हैं शब्दों के कुटिल चाल से दिल को ही आघात हो जाता हैं ...सविता
10 टिप्पणियां:
Bahut hi sundar
Vry nice di
बहुत सुन्दर कविता है दिदी ........ जय हो ........ शुभ सन्ध्या
धन्यवाद आचार्य भैया .............
धन्यवाद गुडिया शर्मा सिस .............
धन्यवाद भैया .शुभ संध्या ...............
NICE ONE . JAI SHRI KRISHNA ! JAI GURU DEV !
धन्यवाद ...जय गुरु देव ...
bahut achhi kavita hai didi , kkp
dhanyvaad kishor bhai
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