सहा बहुत है अब न सहेंगे ,
आँसू बनकर अब न बहेंगे |
किवाड़ की ओट ले अब न सुबकेंगे ,
दीवारों की ओट में अब न दुबकेंगे |
आँसू बनकर अब न बहेंगे |
किवाड़ की ओट ले अब न सुबकेंगे ,
दीवारों की ओट में अब न दुबकेंगे |
न बनेंगे पांचाली न ही सीता ,
ढालेंगे स्वंय में अब हम गीता |
कष्टों की धारा अपनी ओर न बहने देंगे ,
नारी अबला है पुरुषों को यह नकहने देंगे|
ढालेंगे स्वंय में अब हम गीता |
कष्टों की धारा अपनी ओर न बहने देंगे ,
नारी अबला है पुरुषों को यह नकहने देंगे|
शासित रहे हमेशा लेकिन अब न होंगे,
ईट का जवाब अब हम पत्थर से देंगे|
भूल किया है बहुत मग़र अब न करेंगे,
झुक कर देखा बहुत किन्तु अब न झुकेंगे |
ईट का जवाब अब हम पत्थर से देंगे|
भूल किया है बहुत मग़र अब न करेंगे,
झुक कर देखा बहुत किन्तु अब न झुकेंगे |
हमारी कमजोरी का कोई न उठाये फायदा ,
हमारी कमजोरी को ताकत बना दे ओ मेरे खुदा |
हमारी कमजोरी को ताकत बना दे ओ मेरे खुदा |
6 टिप्पणियां:
Aachary Kashyap ----*
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मैया हम तो तेरी ही संतान है
हम पर सदा अपनी नज़र बनाये रखना ..
Uttam kriti.
धन्यवाद आचार्य भैया ..............
बहुत बढ़िया --
सच बात कही है ---
सादर
वाह , बहुत ही बढ़िया
सुन्दरतम
सुन्दरतम
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