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नवंबर 28, 2012

==कुछ बने और सपने साकार करें ==

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हमारे बच्चे ....सुमित ...बड़ा बेटा अमित ...बिटिया हिमाद्री ...की तस्वीर है
बचपन से देखा था कुछ सपना
हुआ नहीं कुछ भी तो अपना
माता-पिता ने साथ भेजा जिसके
बिना कुछ पूछे चल दिए साथ उसके
जब पँहुचे हम अपने ससुराल
घबराये  देख वहां का माहौल
सोचा कैसे निभाऊँगी इन सबके साथ
पर धीरे-धीरे सब कुछ सरल हुआ
गैरो से कुछ इतना आत्मीय हुआ
कि अब तो मायका भी सपना हुआ|

घर की जिम्मेदारी का बोझ
संभाला बिना किसी खीझ
घर का काम शुरू कर देती
सूरज उगते ही आँखे मीच|
सास-ससुर का ख्याल रखती
माता-पिता से बढ़कर मान करती
जेठ-देवर को भी माना
भाई से बढ़कर ही जाना|
झाड़ू-बर्तन-कपड़े सब करती
घर की देखभाल में दिन भर रहती
उफ़ भी ना किया कभी
कष्ट भी आये जब कभी|
पति-बच्चे स्वस्थ एवं सुखी रहे
खुद सारे दुःख सह रहे
तनिक भी ना खरोंच आये
हम सदैव ढाल बन खड़े हुये|
सारे पुराने सपने तो अब हवा हुए
अब तो बस एक ही सपना है |
बच्चे बस अच्छे इंसान बने
भविष्य की नयी राह चुने
सपना तो हमारा अब उनसे ही है
कुछ बने और सपने साकार करें||
||सविता मिश्रा ||

2 टिप्‍पणियां:

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

sab ek achchhe insaan bhi banenge aur apne jiwan me kamyab bhi honge

दिगम्बर नासवा ने कहा…

खुदका मन साफ़ हो तो सब रहें आसान हो जाती हैं ... आशीष बच्चों को ...