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नवंबर 20, 2012


जख्म देती है दुनिया
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जख्म तो देती ही रहती है यह दुनिया
ना यु मन में मलाल कीजिये
जख्मों को यु कुरेद कर जो कोई गया
दिल टूटने का ना उसे अहसास होने दीजिए
टुटा हुआ दिल देख कर आपका जीत हुई उसकी
उसे अपनी इस जीत का ना आभास होने दीजिए |
||सविता मिश्रा ||

2 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ... सच लिखा है ...

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत उम्दा