ऐसा कुछ लिखने की चाहत जो किसी की जिंदगी बदल पाए ...मन के अनछुए उस कोने को छू पाए जो इक कवि अक्सर छूना चाहता है ...काश अपनी लेखनी को कवि-काव्य के उस भाव को लिखने की कला आ जाये ....फिलहाल आपको हमारे मन का गुबार खूब मिलेगा यहाँ ...जो समाज में यत्र तत्र बिखरा है ..| दिल में कुछ तो है, जो सिसकता है, कराहता है ....दिल को झकझोर जाता है और बस कलम चल पड़ती है |
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नवंबर 20, 2012
तुम कस छुटत जाए ---------------------
तुम कस छुटत जाए --------------------- जोगिया वस्त्र धारण कर नहि जोगी कोहू बन जाय कितने पापी पकड़े गये तुम कस छुटत जाय |...सविता मिश्रा
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