कभी-कभी बेगानी सी लगती हैं यह दुनिया,
कभी-कभी बड़ी जानी पहचानी सी लगती हैं|
झूठ को जब-जब जिया अपनी सी लगी,
आइना सच का दिखाया तो बेगानी हुई|
फरेब जब करने चले बड़ी सुहानी लगी,
अच्छाई करने पर बड़ी हैरानी सी हुई|
बदनीयती की जब हमने सब ने हाथों हाथ लिया,
कभी-कभी बड़ी जानी पहचानी सी लगती हैं|
झूठ को जब-जब जिया अपनी सी लगी,
आइना सच का दिखाया तो बेगानी हुई|
फरेब जब करने चले बड़ी सुहानी लगी,
अच्छाई करने पर बड़ी हैरानी सी हुई|
बदनीयती की जब हमने सब ने हाथों हाथ लिया,
नियत जब साफ़ रक्खी हमने हंसी का पात्र हुई ।
धोखा देना जब तक ना आया हमको,
जीना हुआ था बहुत ही दुश्वारअपना|
जैसे ही यह गुर भी सीख लिया,
बखूबी जीना हमने सीख लिया||..... सविता मिश्रा
धोखा देना जब तक ना आया हमको,
जीना हुआ था बहुत ही दुश्वारअपना|
जैसे ही यह गुर भी सीख लिया,
बखूबी जीना हमने सीख लिया||..... सविता मिश्रा
5 टिप्पणियां:
यही दुनिया का असली रूप है..बहुत सटीक प्रस्तुति...
bahut achchhi , saral aur sachchi baatein savita jee!
झूठ को जब जब जिया अपनी सी लगी,
आइना सच का दिखाया तो बेगानी हुई|
×××××क्या खूब कहा आपने ।
झूठ को जब जब जिया अपनी सी लगी,
आइना सच का दिखाया तो बेगानी हुई|
×××××क्या खूब कहा आपने ।
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