29 December 2013 ·
कन्हैया की अदाओं में मैं खोयी रही
कान्हा राधा के संग है क्यों रास रचाये
कन्हैया की अदाओं में मैं खोयी रही
कान्हा राधा के संग है क्यों रास रचाये
हम तरसे हुलसे सुनता ही नहीं है वह
राधा संग रसिया हमको है क्यों लुभाये
दिन भर तेरे भजन ही करती रही हूँ मैं
तू भी मुझको रह रह है क्यों आँख दिखाये
देता है धन उन पापियों को क्यों इतना
जो तुझको न माने न ही वह मंदिर जाये
देख सब बहुत ही अकुलाई मैं कृष्णा
तू तो पापियों का ही है साथ निभाये
इस कलयुग में क्या नहीं हो रहा है कन्हैया
फिर भी तू बैठा चैन की बंसरी है क्यों बजाये
पाप बढेगा तो तू आएगा धरती पर
मोहन तू अब तक है क्यों नहीं आये
हुई है अब तो अंधेर ओ मेरे रास रचैया
अब तो आ जा मेरे प्यारे कृष्ण कन्हैया ...| | सविता मिश्रा 'अक्षजा '
राधा संग रसिया हमको है क्यों लुभाये
दिन भर तेरे भजन ही करती रही हूँ मैं
तू भी मुझको रह रह है क्यों आँख दिखाये
देता है धन उन पापियों को क्यों इतना
जो तुझको न माने न ही वह मंदिर जाये
देख सब बहुत ही अकुलाई मैं कृष्णा
तू तो पापियों का ही है साथ निभाये
इस कलयुग में क्या नहीं हो रहा है कन्हैया
फिर भी तू बैठा चैन की बंसरी है क्यों बजाये
पाप बढेगा तो तू आएगा धरती पर
मोहन तू अब तक है क्यों नहीं आये
हुई है अब तो अंधेर ओ मेरे रास रचैया
अब तो आ जा मेरे प्यारे कृष्ण कन्हैया ...| | सविता मिश्रा 'अक्षजा '
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