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अगस्त 31, 2013

++कैसे जिए++

कभी-कभी बेगानी सी लगती हैं यह दुनिया,
कभी-कभी बड़ी जानी पहचानी सी लगती हैं|

झूठ को जब-जब जिया अपनी सी लगी,
आइना
सच का दिखाया तो बेगानी हुई|

फरेब जब करने चले बड़ी सुहानी लगी,
अच्छाई करने पर बड़ी हैरानी सी हुई|

बदनीयती की जब हमने सब ने हाथों हाथ लिया,
नियत जब साफ़ रक्खी हमने हंसी का पात्र हुई ।

धोखा देना जब तक ना आया हमको,
जीना हुआ था बहुत ही दुश्वारअपना|

जैसे ही यह गुर भी सीख लिया,
बखूबी जीना हमने सीख लिया||..... सविता मिश्रा

5 टिप्‍पणियां:

Kailash Sharma ने कहा…

यही दुनिया का असली रूप है..बहुत सटीक प्रस्तुति...

NKC ने कहा…

bahut achchhi , saral aur sachchi baatein savita jee!

शिव राज शर्मा ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
शिव राज शर्मा ने कहा…

झूठ को जब जब जिया अपनी सी लगी,
आइना सच का दिखाया तो बेगानी हुई|
×××××क्या खूब कहा आपने ।

शिव राज शर्मा ने कहा…

झूठ को जब जब जिया अपनी सी लगी,
आइना सच का दिखाया तो बेगानी हुई|
×××××क्या खूब कहा आपने ।