दिल की खिड़की को खोलती कहानियां😊
कुछ दिन पहले ही मंगाई गई 'चबूतरे का सच' लेखिका श्रीमती आशा पांडेय की किताब पढ़ी।
अपने आस पास बिखरी विसंगतियों को लेकर सरल-सहज भाषा में बुनी कहानियां प्रभावित करती हैं। #चबूतरे_का_सच जैसी कहानियां सोचने को मजबूर करती हैं कि गांवों में क्या कल जो स्त्री की हालत और हालात थे आज वो बदले हैं क्या! जवाब में दिमाग में चिंतन चलने लगता है लेकिन हाथ खाली के खाली रह जाते हैं।
कुल मिलाकर शब्दों के टांके वाक्य में ऐसे फीट किए हैं, पढ़ने के बाद लगता है जैसे दिलोदिमाग में फिट हो गए हों।
लेखिका को भरपूर बधाइयां एवं शुभकामनाएं। लिखिए और मन को जीतिए, सादर।
आपकी किताब की एक पाठिका- #अक्षजा
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