ऐसा कुछ लिखने की चाहत जो किसी की जिंदगी बदल पाए ...मन के अनछुए उस कोने को छू पाए जो इक कवि अक्सर छूना चाहता है ...काश अपनी लेखनी को कवि-काव्य के उस भाव को लिखने की कला आ जाये ....फिलहाल आपको हमारे मन का गुबार खूब मिलेगा यहाँ ...जो समाज में यत्र तत्र बिखरा है ..| दिल में कुछ तो है, जो सिसकता है, कराहता है ....दिल को झकझोर जाता है और बस कलम चल पड़ती है |
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फ़रवरी 04, 2021
सविता उवाच
अपने को साहित्य में प्रायोजित नहीं करिए, बल्कि साहित्य आपको प्रायोजित करे, इतना उसे समय दीजिए। 'अक्षजा' का घनघोर उवाच 4/2/2021
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