१..निष्ठुर नारी
तिक्त हरी मिर्च सी
बाते उसकी
जब भी बोलती वो
चोटिल ही करती|
२...जर्द पत्तिया
बेसहाय सी बिखरी
डाल से टूट
डाल पर थी हरी
हवा में बलखाती|
३..पूत लाडला
मिट्टी में लोटकर
मटमैला हो
मस्ती में कैसे डूबा
दादा की छत्र छाया|
४.... .लाल स्याही से
हस्ताक्षर कर दे
परीक्षक जो
चढ़ जाता नम्बर
उम्र भर के लिए| ..सविता मिश्रा
तिक्त हरी मिर्च सी
बाते उसकी
जब भी बोलती वो
चोटिल ही करती|
२...जर्द पत्तिया
बेसहाय सी बिखरी
डाल से टूट
डाल पर थी हरी
हवा में बलखाती|
३..पूत लाडला
मिट्टी में लोटकर
मटमैला हो
मस्ती में कैसे डूबा
दादा की छत्र छाया|
४.... .लाल स्याही से
हस्ताक्षर कर दे
परीक्षक जो
चढ़ जाता नम्बर
उम्र भर के लिए| ..सविता मिश्रा
8 टिप्पणियां:
बहुत खूब ... सच बातें कहीं अं इन टाँकों में ...
लाजवाब ...
bahut bahut shukriya digmbar bhaiya ..saadr naman
टांकों में लटकता सच
टांकों में लटकता सच
bahut bahut shukriya madhu sis
खूब लिखा..
राजेन्द्र अवस्थी भैया सादर नमस्ते ..शुक्रिया दिल से
सभी सुंदर तांका बने हैं
हार्दिक शुभकामनायें
स्नेहाशीष
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