आस पास मचा कोलाहल
मन में फिर भी हैं सन्नाटा|
हर कहीं बहू-बेटियां चीखती
फिर भी पसरा रहता सन्नाटा|
एक किलकारी गूंजती घर आँगन
पर गर्भ में ही कर दिया सन्नाटा|
सांय- सांय की आवाज गूंजती
जहाँ कही पसरा हो सन्नाटा|
डाल ही लो आदत अब रहने की
चाहे जितना अधिक हो सन्नाटा|
सुनो ध्यान से क्या कहता
मन के अन्दर का सन्नाटा|
जीने की आदत बन ही गयी
पसरा कितना भी हो सन्नाटा|| ......सविता मिश्रा
मन में फिर भी हैं सन्नाटा|
हर कहीं बहू-बेटियां चीखती
फिर भी पसरा रहता सन्नाटा|
एक किलकारी गूंजती घर आँगन
पर गर्भ में ही कर दिया सन्नाटा|
सांय- सांय की आवाज गूंजती
जहाँ कही पसरा हो सन्नाटा|
डाल ही लो आदत अब रहने की
चाहे जितना अधिक हो सन्नाटा|
सुनो ध्यान से क्या कहता
मन के अन्दर का सन्नाटा|
जीने की आदत बन ही गयी
पसरा कितना भी हो सन्नाटा|| ......सविता मिश्रा
5 टिप्पणियां:
ये मौन या सन्नाटा ?
बेहतरीन !!
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ब्लॉग बुलेटिन से यहाँ पहुँचना भा गया :)
mukesh bhai abhar apka मौन तो कभी न कभी मुखर होता है पर सन्नाटा नहीं
ब्लॉग भाई जी नमस्कार .....बहुत ख़ुशी हुई आपके द्वारा सम्मान पाकर ...कही शामिल किया जाय पढने के लिए दुसरे के वास्ते तो यह ख़ुशी की ही बात है हमारे लिए ....आभार आपका दिल से
प्रशंसनीय रचना - बधाई
आग्रह है-- हमारे ब्लॉग पर भी पधारे
शब्दों की मुस्कुराहट पर ....दिल को छूते शब्द छाप छोड़ती गजलें ऐसी ही एक शख्सियत है
आभार आपका संजय भाई ..दिल से
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