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मार्च 28, 2013

बुरा ना मानो होली है-

८८ -९० में लिखी रचना पेश हैं इस रंगों भरे त्योंहार पर .....


---बुरा ना मानो होली है--

बुरा ना मानो होली है
जीजा साली की डोली है

जीजा बड़े भोले है
पर साली के लिए शोले है|
.....भौजाई के गले में हाथ डाल
.....देवर की यह ठिठोली है
.....बुरा ना मानो होली है
......देवर भौजाई की हम जोली है|
सुन्दरियों को आँख मार
कुमारियों पर रंग डाल
कहते बुरा ना मानो होली है
बेगारो की यह टोली है|
........सफ़ेद पोश एवं काले पोश की
.......सदा से हम जोली है
........बुरा ना मानो होली है
........छुपे रुस्तम की टोली है|
बुरा ना मानो होली है
मिलन की यह टोली है|...सविता मिश्रा

4 टिप्‍पणियां:

Parantap Mishra ने कहा…

....भौजाई के गले में हाथ डाल
.....देवर की यह ठिठोली हैं...

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

परंतप मिश्र भैया आपको होली की हार्दिक बधाई ....आभार भी आज देख पाए आपका कमेन्ट :)

शिव राज शर्मा ने कहा…

होली की शुभकामनाएं बहुत बहुत

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर...होली की हार्दिक शुभकामनाएं!