८८ -९० में लिखी रचना पेश हैं इस रंगों भरे त्योंहार पर .....
---बुरा ना मानो होली है--
बुरा ना मानो होली है
जीजा साली की डोली है
जीजा बड़े भोले है
पर साली के लिए शोले है|
.....भौजाई के गले में हाथ डाल
.....देवर की यह ठिठोली है
.....बुरा ना मानो होली है
......देवर भौजाई की हम जोली है|
सुन्दरियों को आँख मार
कुमारियों पर रंग डाल
कहते बुरा ना मानो होली है
बेगारो की यह टोली है|
........सफ़ेद पोश एवं काले पोश की
.......सदा से हम जोली है
........बुरा ना मानो होली है
........छुपे रुस्तम की टोली है|
बुरा ना मानो होली है
मिलन की यह टोली है|...सविता मिश्रा
---बुरा ना मानो होली है--
बुरा ना मानो होली है
जीजा साली की डोली है
जीजा बड़े भोले है
पर साली के लिए शोले है|
.....भौजाई के गले में हाथ डाल
.....देवर की यह ठिठोली है
.....बुरा ना मानो होली है
......देवर भौजाई की हम जोली है|
सुन्दरियों को आँख मार
कुमारियों पर रंग डाल
कहते बुरा ना मानो होली है
बेगारो की यह टोली है|
........सफ़ेद पोश एवं काले पोश की
.......सदा से हम जोली है
........बुरा ना मानो होली है
........छुपे रुस्तम की टोली है|
बुरा ना मानो होली है
मिलन की यह टोली है|...सविता मिश्रा
4 टिप्पणियां:
....भौजाई के गले में हाथ डाल
.....देवर की यह ठिठोली हैं...
परंतप मिश्र भैया आपको होली की हार्दिक बधाई ....आभार भी आज देख पाए आपका कमेन्ट :)
होली की शुभकामनाएं बहुत बहुत
बहुत सुन्दर...होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
एक टिप्पणी भेजें