१..निष्ठुर नारी
तिक्त हरी मिर्च सी
बाते उसकी
जब भी बोलती वो
चोटिल ही करती|
२...जर्द पत्तिया
बेसहाय सी बिखरी
डाल से टूट
डाल पर थी हरी
हवा में बलखाती|
३..पूत लाडला
मिट्टी में लोटकर
मटमैला हो
मस्ती में कैसे डूबा
दादा की छत्र छाया|
४.... .लाल स्याही से
हस्ताक्षर कर दे
परीक्षक जो
चढ़ जाता नम्बर
उम्र भर के लिए| ..सविता मिश्रा
तिक्त हरी मिर्च सी
बाते उसकी
जब भी बोलती वो
चोटिल ही करती|
२...जर्द पत्तिया
बेसहाय सी बिखरी
डाल से टूट
डाल पर थी हरी
हवा में बलखाती|
३..पूत लाडला
मिट्टी में लोटकर
मटमैला हो
मस्ती में कैसे डूबा
दादा की छत्र छाया|
४.... .लाल स्याही से
हस्ताक्षर कर दे
परीक्षक जो
चढ़ जाता नम्बर
उम्र भर के लिए| ..सविता मिश्रा