तुला-तुला कर रहा
तुला का तू
जाने क्या मोल
न्यायाधीश की कुर्सी के पीछे
अटकी जिसकी साँसे
उससे जाके बोल |
तुला का तू
जाने क्या मोल
न्यायाधीश की कुर्सी के पीछे
अटकी जिसकी साँसे
उससे जाके बोल |
तुला पर तूला जो
साँसे वह रखे रोक
सजा सुनते ही उसके
पड़ जाए घर में जो शोक |
पैसे कौड़ी का मोह नहीं
ना ही रखे घर द्वार
बेच के सब ले आये
न्याय तराजू में रख सब हार |
दर-दर डोला फिरे
न्याय मिले कहीं तो
पर मिलते मिलते न्याय
जिन्दगी गया हार वो |
धन दौलत सब कुछ तो लुट गया
साथ अपनों का भी छूट गया |
न्याय तुला सुरसा मुख में सब झोंके
रह गया वह अब तो कंगाल होंके |
जीवन मरण की तुला पर
पड़ गयी मौत भारी
मौत जैसे ही मिली
हुई कफन की तैयारी |
कफन भी नसीब नहीं अब
साहब था कभी डीके
मरना अच्छा है फिर
क्या करेगा कोई जीके |
न्याय तुलती है
पट्टी बांधे आँख
छूट जाता वह
जो लुटाता लाख |
न्याय
चक्रव्यूह बनी हमेशा
छूट न पाया कभी
अर्जुन सरीखा
तुला पर जो कभी भी तूला
न्याय तुला क्या कभी वो भूला |..सविता मिश्रा
साँसे वह रखे रोक
सजा सुनते ही उसके
पड़ जाए घर में जो शोक |
पैसे कौड़ी का मोह नहीं
ना ही रखे घर द्वार
बेच के सब ले आये
न्याय तराजू में रख सब हार |
दर-दर डोला फिरे
न्याय मिले कहीं तो
पर मिलते मिलते न्याय
जिन्दगी गया हार वो |
धन दौलत सब कुछ तो लुट गया
साथ अपनों का भी छूट गया |
न्याय तुला सुरसा मुख में सब झोंके
रह गया वह अब तो कंगाल होंके |
जीवन मरण की तुला पर
पड़ गयी मौत भारी
मौत जैसे ही मिली
हुई कफन की तैयारी |
कफन भी नसीब नहीं अब
साहब था कभी डीके
मरना अच्छा है फिर
क्या करेगा कोई जीके |
न्याय तुलती है
पट्टी बांधे आँख
छूट जाता वह
जो लुटाता लाख |
न्याय
चक्रव्यूह बनी हमेशा
छूट न पाया कभी
अर्जुन सरीखा
तुला पर जो कभी भी तूला
न्याय तुला क्या कभी वो भूला |..सविता मिश्रा
2 टिप्पणियां:
अच्छी है !
अच्छी रचना । बधाई
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