कोई बात हो तभी लिखे यह जरुरी तो नहीं
चोट खाए दिल तभी लिखे यह जरुरी तो नहीं
मन का गुबार निकल जाये यह बात जरुरी है
दिल में रखकर दिल जलाये यह जरुरी तो नहीं |..सविता
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चोट खाए दिल तभी लिखे यह जरुरी तो नहीं
मन का गुबार निकल जाये यह बात जरुरी है
दिल में रखकर दिल जलाये यह जरुरी तो नहीं |..सविता
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कोई ख़ास नामचीन तो पहले भी ना थे पर अब तो हम गुमनाम होना चाहते हैं ! ........सविता मिश्रा
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जैसे ही साँसों की डोर टूटेगी, अपनी किमत बढ़ जायेगी ! saविता miश्रा
बेवकूफ पति अपनी पत्नी को घर की मुर्गी साग बराबर समझते हैं और दुखी रहते हैं और उसे भी दुःख देते हैं ...!
और समझदार पति अपनी पत्नी को हूर की परी समझते हैं, खुद भी खुश रहते हैं और उसे भी खुशियाँ ढेर सारी देते हैं |
सविता मिश्रा
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और समझदार पति अपनी पत्नी को हूर की परी समझते हैं, खुद भी खुश रहते हैं और उसे भी खुशियाँ ढेर सारी देते हैं |
सविता मिश्रा
7 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार ११ दिसंबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
आखिरी वाली में आपने जिन्दगी का सार कह दिया
सुन्दर
वाह !!बहुत खूब।
बहुत खूब।
बहुत बहुत शुक्रिया आपका
बहुत बहुत शुक्रिया आपका
शुक्रिया आपका
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