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दिसंबर 11, 2017

देते हैं ...कुछ यूँ ही

भावों को हम शब्दों में पिरो देते हैं 
विचारों को वाक्यों में तिरो देते हैं
मेरे भावों को भाव देता है जब कोई
संबल मिलता जो लेखन में सिरो देते हैं |

सिरो...ध्यान, रचनात्मक |

"पांच लिंकों का आनन्द" ब्लॉग में सोमवार ११ दिसंबर २०१७ को कमेन्ट में लिखी |

हाँ! हाँ! क्या बात है 
शब्द शब्द लताड़ रहे न जाने किसको किसको 
सोच बैठे कहीं हमको कह के तो नहीं खिसको 
वाह वाह क्या बात है ! लगी कसके चमात है !! सविता ..

मन के हैं शब्द फूटे 
दिल आपका न टूटे 
छंद-बंद से दूर हैं हम 
भाव बस शब्दों में छूटे | किसी ब्लॉग पे लिखी

5 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

अच्छी है

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

शुक्रिया सुशील भैया ..सादर अभिवादन |

अपना आकाश ने कहा…

अच्छी लगी

'एकलव्य' ने कहा…

आपको सूचित करते हुए बड़े हर्ष का अनुभव हो रहा है कि ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग 'मंगलवार' ९ जनवरी २०१८ को ब्लॉग जगत के श्रेष्ठ लेखकों की पुरानी रचनाओं के लिंकों का संकलन प्रस्तुत करने जा रहा है। इसका उद्देश्य पूर्णतः निस्वार्थ व नये रचनाकारों का परिचय पुराने रचनाकारों से करवाना ताकि भावी रचनाकारों का मार्गदर्शन हो सके। इस उद्देश्य में आपके सफल योगदान की कामना करता हूँ। इस प्रकार के आयोजन की यह प्रथम कड़ी है ,यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। आप सभी सादर आमंत्रित हैं ! "लोकतंत्र" ब्लॉग आपका हार्दिक स्वागत करता है। आभार "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

आभार