आज 7/2/2019 को रोज डे पर एक कविता
कोई मुझे भी तो एक पकड़ाओं यारा गुलाब
देखे बहुत दिन हो गए मुझे एक न्यारा गुलाब
मचलता गुलाब डे भी देखो आज आ गया इधर
न शरमाओं तुम दे दो मुझे भी एक प्यारा गुलाब
हूँ मिज़ाज से गर्म लेकिन ये दिल है कोमल बड़ा
दिल मचलता है मेरा भी लेने को सुनहरा गुलाब
लाल हो या हो पिंक सा फिर चाहे काला ही दे दो
मुझे भी रोज डे पर दो तुम आज ढेर सारा गुलाब
पचास की ही होने को हूँ सठियाई नहीं हूँ जनाब
मचल जाऊँ देखकर मैं भी खूबसूरत सा गुलाब |
मचलता गुलाब डे भी देखो आज आ गया इधर
न शरमाओं तुम दे दो मुझे भी एक प्यारा गुलाब
हूँ मिज़ाज से गर्म लेकिन ये दिल है कोमल बड़ा
दिल मचलता है मेरा भी लेने को सुनहरा गुलाब
लाल हो या हो पिंक सा फिर चाहे काला ही दे दो
मुझे भी रोज डे पर दो तुम आज ढेर सारा गुलाब
पचास की ही होने को हूँ सठियाई नहीं हूँ जनाब
मचल जाऊँ देखकर मैं भी खूबसूरत सा गुलाब |
सविता मिश्रा 'अक्षजा'
6 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना..
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 10 फरवरी 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अति सुंदर रचना सादर नमन आप को
वाह ¡
बहुत खूब अलहदा अदायगी।
पचास की ही होने को हूँ सठियाई नहीं हूँ जनाब
मचल जाऊँ देखकर मैं भी खूबसूरत सा गुलाब |
ख़ूबसूरत रचना मैम... बधाईयाँ
सभी का आभार दिल से
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