जबान संभाल बोल कहें कि
झट दिखा दिए औकात
वह गज भर लम्बी रखे जुबान
जिसकी दो पैसे की नहीं औकात|
लुपछुप करते अक्सर जब
जब खुद का काम हो अटका
भीगी बिल्ली बन फिरते
थूक भी गले में रहे अटका
शेर के बेस में छुपे होते सियार
पकड़ें जाये तो लगते मिमियाने
छूटते ही देखो अपना रूप दिखाते
खरी खोटी कह रहते अक्सर खिसियाने|
गिरेबान झांकते खुद का तो
मिलते अवगुण उनमें हजार
ढोल की पोल रखने के चक्कर में
यूँ फिर कीचड़ नहीं उछालते भरे बजार| सविता मिश्रा
झट दिखा दिए औकात
वह गज भर लम्बी रखे जुबान
जिसकी दो पैसे की नहीं औकात|
लुपछुप करते अक्सर जब
जब खुद का काम हो अटका
भीगी बिल्ली बन फिरते
थूक भी गले में रहे अटका
शेर के बेस में छुपे होते सियार
पकड़ें जाये तो लगते मिमियाने
छूटते ही देखो अपना रूप दिखाते
खरी खोटी कह रहते अक्सर खिसियाने|
गिरेबान झांकते खुद का तो
मिलते अवगुण उनमें हजार
ढोल की पोल रखने के चक्कर में
यूँ फिर कीचड़ नहीं उछालते भरे बजार| सविता मिश्रा
6 टिप्पणियां:
https://www.facebook.com/422061857833776/photos/a.703495969690362.1073741828.422061857833776/697922373581055/?type=1&relevant_count=1
बहुत सुन्दर और सटीक..
अति सुन्दर रचना
अति सुन्दर रचना
बहुत सुन्दर
बहुत बहुत शुक्रिया कैलाश भैया,संजय भाई,और राज भाई आपका
एक टिप्पणी भेजें