तोल मोल के बोल
शब्द हैं बड़े अनमोल
दुखे दिल किसी का
मुख से ऐसा कुछ न बोल |
वाणी में अपने अमृत घोल
कड़वा तू कभी न बोल |
शब्द ऐसे न बोल कभी
जो घाव कर जाए
अन्दर ही अन्दर दिल में
जो नासूर कर जाए |
निकाले न मुख से वह शब्द जिससे
किसी के भी मन में मलाल आए
शब्द बाण से वह विचलित हो जाए
और उसके नयन छलछला जाए |
शब्द हैं बड़े अनमोल
दुखे दिल किसी का
मुख से ऐसा कुछ न बोल |
वाणी में अपने अमृत घोल
कड़वा तू कभी न बोल |
शब्द ऐसे न बोल कभी
जो घाव कर जाए
अन्दर ही अन्दर दिल में
जो नासूर कर जाए |
निकाले न मुख से वह शब्द जिससे
किसी के भी मन में मलाल आए
शब्द बाण से वह विचलित हो जाए
और उसके नयन छलछला जाए |
शब्द नेक बढाएं मान सदा
कुटिल शब्द अपमान करा जाए |
तीर तलवार के घाव भर जाते हैं
शब्दों के घाव नासूर बन जाते हैं
सोच-समझ के ही तू बोल जरा
कम बोलने वाले ही सबको भाते हैं |
उटपटांग बोल
समय-समय पर
दिल को उद्धेलित करते है
घृणा-ईर्ष्या, बदले की आग को
सदा प्रज्जवलित करते हैं |
शब्द कहो नहीं ऐसे, जिससे
किसी को तुमसे घृणा हो जावे
कानों में पड़ते ही शब्द तुम्हारे
उसका ह्रदय तार-तार हो जावे |
बोलो ऐसे शब्द जो कर्ण प्रिय हो
हृदय भी शब्द-सार से प्रफुल्लित हो |
तोल मोल के बोल
शब्द बड़े हैं अनमोल
प्यार के मीठे दो बोल से
दिल के दरवाजे तू खोल
जरा तोल मोल के बोल...||
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