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अक्तूबर 31, 2016

धनतेरस की हार्दिक बधाई

धन, धन की ओर झुकने को बेताब हैं | सही बात है कि जहाँ लक्ष्मी होतीं हैं पहले से लक्ष्मीजी भी वहीं जाने को बेताब रहती हैं| कुटियाँ वाले को मिठाई कौन भेंट करने पहुँच रहा|
उपहारों में बड़े बड़े गिफ्ट देने निकले लोगो को शायद यह नहीं पता कि जो गिफ्ट उन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई से खरीदकर दुसरों पर लुटाने जा रहे हैं उनकी कीमत वह समझता ही नहीं है | या पता है पर वह इसे नकारते हुए उपहार भेंट कर रहा उसे, जिसको इसकी जरूरत ही नहीं |
घर के किसी कोने में पड़ा रहता हैं वह उपहार उपेक्षित होकर | या फिर उपहार स्वरूप ही किसी और के घर की शोभा बन जाता हैं जाकर |....इससे अच्छा गरीबों को दे वह खुश भी और लाखों दुआए भी|
 पर हाय रे इंसान तू कभी ना सुधरा ......| अब क्या सुधरेगा ....| धन की बर्बादी और व्यापारियों की आबादी पर दुखी आत्मा ..| सविता

आप सभी को धनतेरस की हार्दिक बधाई|  कल किसी पर तो धन वर्षा होगी ही ..:)

कलयुगी भगवान् भी ना जाने कैसे कैसो पर मेहरबान हैं आजकल :) :)

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