आरक्षण
ऐसा लगता है कि रक्षण करने के बजाय भक्षण कर रहा है
एक का रक्षण हुआ या नहीं पर दूजे पूर्ण रूप से इस आरक्षण रूपी राक्षस का शिकार हो गये| एक को दबाना दूजे को उठाना क्या गलत नहीं है, क्या हम अपनी दो या चार औलादों में भेदभाव करते है| हम सभी को एक सी शिक्षा, प्रेम, धन, मकान देने में कहा भेद करते है, पर अपना देश अपनी औलादों में कर रहा है| हो सकता है छोटा प्रिय हो (अक्सर कहा जाता है) बड़ा थोड़ा अप्रिय, फिर भी हम बड़े के हाथ पैर काट उसकी उचांई तो नहीं कम करते न, बड़ा बड़ा ही रहेगा हा छोटे को थोड़ा ज्यादा उचांई तक पहुँचने का साधन (मोटिवेट) दे सकते है, उचांई नहीं| परन्तु हमारे देश में आरक्षण के नाम से कुछ ऐसा ही हो रहा है| हम (आरक्षण)एक का हाथ पैर काट दूसरे को गद्दी आरूढ़ कर रहें है, यह नहीं समझ रहे है हम कि बिना नींव मजबूत किये जो मंजिल किसी भी तरह खड़ी भी कर दी जा जाये, एक ना एक दिन धराशायी हो ही जाती है| पद में भी आरक्षण देना कुछ ऐसा ही है|
यदि काबिल बनाना ही चाहते है तो उनकी नींव मजबूत बनाएं वह भी धर्म के आधार पर क्यों गरीबी के आधार पर क्यों नहीं| जो बुद्धि होते भी शिक्षा गरीबी के कारण नहीं ग्रहण कर पाते, उन्हें शिक्षा प्राप्त करने का मौका देना चाहिए| जिसका काम उसी को साजे दूजा करे तो डंडा बाजे सही कहा है हमारे बुजुर्गो ने, जो जिस लायक है ही नहीं आरक्षण के द्वारा उसे वह पद दे देना कहा कि बुद्धिमता है| यह तो अपने को (देश)ही कमजोर करना हुआ जो लायक है, वह दर दर भटके नाइंसाफी ही तो है यह| आखिर कब जागेगें हम जब बिलकुल बर्बाद हो चुके होगे तब |
हमे तो लगता है आरक्षण की बैशाखी बांटनी बंद कर देनी चाहिए ,बाँटना हो तो शिक्षा बांटे जो सब के काम आये सभी को अपने लक्ष्य को निर्धारित करने का हुनर पढाओ, उस लायक बनाओ, बिना भेदभाव के जैसे कि वे देश के लिए कुछ कर सकें| देश के सभी बच्चे लायक होगे तो देश तरक्की करेगा मजबूत होगा| उसके सभी स्तम्भ मजबूत होगे तो किसी दुश्मन की अपने देश पर कुदृष्टि डालने की हिम्मत ना होगी |बिना मेहनत और काबिलियत के पायी हुई चीज की कद्र नहीं होती| जो व्यक्ति अपने पद का कद्र ही नहीं करेगा तो क्या होगा देश का, आप सब खुद ही समझ सकते है|
आरक्षण के नाम से जो जहर फ़ैल रहा है वह भी ख़त्म हो जाएगा| जगह जगह हो रहे जातीय संघर्ष समाप्त हो जायेगें| सब मिल-जुल अपने देश की तरक्की में हाथ बटाएगें और सपनों का भारत बनाने में सहयोग करेगें| सविता मिश्रा
एक का रक्षण हुआ या नहीं पर दूजे पूर्ण रूप से इस आरक्षण रूपी राक्षस का शिकार हो गये| एक को दबाना दूजे को उठाना क्या गलत नहीं है, क्या हम अपनी दो या चार औलादों में भेदभाव करते है| हम सभी को एक सी शिक्षा, प्रेम, धन, मकान देने में कहा भेद करते है, पर अपना देश अपनी औलादों में कर रहा है| हो सकता है छोटा प्रिय हो (अक्सर कहा जाता है) बड़ा थोड़ा अप्रिय, फिर भी हम बड़े के हाथ पैर काट उसकी उचांई तो नहीं कम करते न, बड़ा बड़ा ही रहेगा हा छोटे को थोड़ा ज्यादा उचांई तक पहुँचने का साधन (मोटिवेट) दे सकते है, उचांई नहीं| परन्तु हमारे देश में आरक्षण के नाम से कुछ ऐसा ही हो रहा है| हम (आरक्षण)एक का हाथ पैर काट दूसरे को गद्दी आरूढ़ कर रहें है, यह नहीं समझ रहे है हम कि बिना नींव मजबूत किये जो मंजिल किसी भी तरह खड़ी भी कर दी जा जाये, एक ना एक दिन धराशायी हो ही जाती है| पद में भी आरक्षण देना कुछ ऐसा ही है|
यदि काबिल बनाना ही चाहते है तो उनकी नींव मजबूत बनाएं वह भी धर्म के आधार पर क्यों गरीबी के आधार पर क्यों नहीं| जो बुद्धि होते भी शिक्षा गरीबी के कारण नहीं ग्रहण कर पाते, उन्हें शिक्षा प्राप्त करने का मौका देना चाहिए| जिसका काम उसी को साजे दूजा करे तो डंडा बाजे सही कहा है हमारे बुजुर्गो ने, जो जिस लायक है ही नहीं आरक्षण के द्वारा उसे वह पद दे देना कहा कि बुद्धिमता है| यह तो अपने को (देश)ही कमजोर करना हुआ जो लायक है, वह दर दर भटके नाइंसाफी ही तो है यह| आखिर कब जागेगें हम जब बिलकुल बर्बाद हो चुके होगे तब |
हमे तो लगता है आरक्षण की बैशाखी बांटनी बंद कर देनी चाहिए ,बाँटना हो तो शिक्षा बांटे जो सब के काम आये सभी को अपने लक्ष्य को निर्धारित करने का हुनर पढाओ, उस लायक बनाओ, बिना भेदभाव के जैसे कि वे देश के लिए कुछ कर सकें| देश के सभी बच्चे लायक होगे तो देश तरक्की करेगा मजबूत होगा| उसके सभी स्तम्भ मजबूत होगे तो किसी दुश्मन की अपने देश पर कुदृष्टि डालने की हिम्मत ना होगी |बिना मेहनत और काबिलियत के पायी हुई चीज की कद्र नहीं होती| जो व्यक्ति अपने पद का कद्र ही नहीं करेगा तो क्या होगा देश का, आप सब खुद ही समझ सकते है|
आरक्षण के नाम से जो जहर फ़ैल रहा है वह भी ख़त्म हो जाएगा| जगह जगह हो रहे जातीय संघर्ष समाप्त हो जायेगें| सब मिल-जुल अपने देश की तरक्की में हाथ बटाएगें और सपनों का भारत बनाने में सहयोग करेगें| सविता मिश्रा
12 टिप्पणियां:
भूरा बाल साफ़ करने की राजनीति आरक्षण नीति
जिनको आरक्षण दिया जाता है वहाँ भी ईमानदारी कहाँ हैं उनका गरीब भी आज गरीब ही है ।
जैसे up में मायावतीजी ने... ......नारा ..क्या था सही से याद नहीं मारो जुते चार कुछ ऐसा था
saty कहा भैया आपने आरक्षण का फायदा सब को समान रूप से मिलता तो कब की समानता आ जाती ..पर ऐसा होता नहीं धनिक वर्ग बाजी मार जाता है और गरीब जब पढ़ ही नहीं पायेगा तो नौकरी क्या ख़ाक मिलेगी...सादर नमस्ते
आरक्षण में तो कम से कम इमानदारी हो ... और जिनको ज्रूराथई उनका स्तर उठाना चाहिए ...
दिगम्बर भैया आभार आपका __/\__
आरक्षण समाज को बांटकर रोटियां सेंकने की कोशिश है. कुछ लोगों को हमेशा के लिए बैसाखियों के सहारे जीने की आदत डालने की कोशिश। किसी भी जिन्दा, जागृत समाज में इसका विरोध होना चाहिए।
संतोष शुक्रिया भैया आपका दिल से ....सही कहा आपने ..पर कौन बिल्ली के गले में घंटी बांधे
सिर्फ दिखावा - वोट की राजनीति
आरक्षण केवल अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखने का प्रयास है...बहुत सटीक आलेख
बहुत अच्छा आलेख है । परंतू देश में वोट बैंक की राजनीति है । वोट सोच समझ के देवें तो कुछ हो सकता है ।
बहुत अच्छा आलेख है । परंतू देश में वोट बैंक की राजनीति है । वोट सोच समझ के देवें तो कुछ हो सकता है ।
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