फ़ॉलोअर

अगस्त 10, 2014

राखी भेजा है

रक्षा सूत्र में पिरोकर अपना प्यार भेजा है
भैया तुझे मैंने स्व रक्षार्थ का भार भेजा है|


माना मन में तेरे राखी का सम्मान नहीं
बड़े मान से हमने अपना दुलार भेजा है|


रिश्ता भाई बहन का हैं एक अटूट बंधन
होता जार जार जो सब जोरजार भेजा है|


ढुलक गया मोती जो मेरी नम आँखों से
पिरोकर मोती हमने उपहार भेजा है|


गिले शिकवे भूल सारे फिर एक बार
सहेज कर यादें लिफ़ाफ़े में मधुर भेजा है|


राखी दो पैसे की हो या हजारों की भैया
चंद धागों में लिपटा प्यार बेशुमार भेजा है|


मतलब के हो गये सारे ही रिश्तें नाते
हो मधुर रिश्तें सन्देश दें मधुकर भेजा है|


माना होता प्रगाढ़ बहुत खून का रिश्ता
स्नेह अपार निहित राखी का तार भेजा है|


क्रांति चेहरे की भैया हो ना फीकी कभी
हरने सारे गम माँ का प्यार विधर भेजा है|

.सविता मिश्रा

5 टिप्‍पणियां:

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

बेहद खुबसूरत अभिव्यक्ति .... उम्दा गज़ल
स्नेहाशीष बच्ची

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

बहुत बहुत आभार दी ....:)

कमल नयन दुबे ने कहा…

वाह , बहुत सुंदर

कमल नयन दुबे ने कहा…

वाह , बहुत सुंदर

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

शुक्रिया कमल भैया🙏😊