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सितंबर 20, 2017

भाषा की मर्यादा..मन की

ग़ुबार😊😊😊
हत्या किसी की भी हो हत्या है। अभी छः महीने में ही कई हत्याएं हुई । अब हमारी जनरल नॉलेज इतनी बढिया नहीं कि हम सारे नाम गिनाकर आपसे पूछे कि आप फला-फला पर क्यों चुप थे।
आईना निहारिये सब जरा । हम सब दोगले हैं। मुखौटा भी एक चेहरे को छुपा सकता है कई नहीं इस युग में हमारे शायद कई चेहरे हैं और सारे चेहरों के साथ जीने के शायद हम अभ्यस्त भी हो चुके हैं।
न जाने क्यों लगता है अपशब्द कहने वाले इन चार पांच साल में हुई सभी हत्याओं को हत्या नहीं मानते हैं । उन्हें उनकी हत्या, हत्या लगती है जिनकी लकीर पर वह चल रहें। या उसकी जिसका समर्थन करने से वह लोगों की नजर में सेक्यूलर साबित हों जाए। और बची हुई जो हत्याएं हुई उसमें हमारी सम्वेदना सो जाती है।

खुशियां मनाने वाले को गाली दो और जब खुद किसी की मौत पर लड्डू बाँटो तो कहो प्रसाद है। यह तो वही बात हुई कि अपने घर की शादी में आप ढोल नगाड़े बजाए तो कानों में बांसुरी बजते और पड़ोस के घर वही बजे तो कान आपके शोर से फटने लगते। आप रह रहकर सारी की सारी गालियॉ उनके हवाले कर देते।

माना हम सब विचारों से विरोधी हो सकते हैं लेकिन क्या हक है हमें किसी को बुरा कहने का वह भी सार्वजनिक। यह तो पता है कि बन्द कमरे में आप 100 मे से 90 को गाली ही देतें होंगे।
कल परसो देखे लोग कंगना रनावत को कांटो की माला पहना रहे थें। एक औरत मुहँ खोले तो आपकी जबान काली क्यों होने लगती हैं।
जागिये बंधुओं विरोध करिये पर मर्यादा कैसे भूल जाते आप।
कल की ही एक पोस्ट पर जवाब देने पर एक महान शिक्षक का मानहत हो गया। वह सब बड़ाई करने वालों का धन्यवाद देने के बजाय हमसे ही दादागीरी करने लगें। ऐसा हमने कई बार कइयों की पोस्ट पर महसूस किया है।
हमें इस बात का बड़ा अफसोस होता है कि लोग अपने मेहमान की इज्जत नहीं करतें।

कोई भी आपकी पोस्ट पर यदि कमेंट करता है और दूसरा उससे बदतमीजी करने लगे तो आपका फर्ज बनता कि आप मेजबान का मान रखे। आपका चुप रहना यह साबित करता कि आप कमेंटकर्ता की बेइज्जती पर फूल के कूप्पा हुए जा रहें। वैसे यह भी एक भारतीयता की पहचान है।
हम अपने सम्मान पर कम दूसरों के अपमान पर ज्यादा ही खुश होतें। क्या करें यही तो भारतीयता की जड़ है। और हम अपनी जड़ को त्याग थोड़े सकते हैं।
हम कमेंट इसी लिए बहुत कम करते हैं। जैसी पोस्ट आप लिखेंगे उस समय जैसा दिमाग में आएगा आदमी बोलेगा। लेकिन सामान्य जवाब पर आपके चमचे चीखने लगे तो ....😣 भाषा की मर्यादा तोड़ने लगे तो। इसलिए सबसे भला चुप। लेकिन आदमी कब तक मौन रह सकता।
आप क्या समझते हो सामने वाले को गाली नहीं आतीं यदि ऐसा समझता हैं कोई तो वह भारत को देखा ही नहीं। हम भारतवासी तो बिन बात के गाली देते। भारतीय तो कोई गाली गलौज वाली बात हो तो बिना रुके घण्टो चीख चीख कर पूरे मोहल्ले को गाली ज्ञान में पीएचडी करा सकता हैं।
किसी की हत्या पर छाती पीटीए या फिर लड्डू बांटिए लेकिन बस एक काम करिये दूसरों को अशब्द बोलकर मर्यादा की हत्या नहीं करिए। #सविता मिश्रा

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