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दिसंबर 12, 2012

~फायकू ~

फायकू की गुरु बनी
गुस्ताखी ना हो
तुम्हारें लिए ........

सूरज तुम कहते हमको
डूबे निकले फिर
तुम्हारें लिए

क्या करे दिल का
धड़कता है बस
तुम्हारें लिए ...सविता मिश्रा

चाहा था सीखना आपसे
सोचा सीख लेंगे
तुम्हारे लिए

भला होता किसी का
कर देंगें हम
तुम्हारें लिए

 पी लेंगे जख्मो दर्द
सह लेगें सितम
तुम्हारें लिए

जिंदगी की जंग हम
लड़ेगे मिलकर संग
तुम्हारें लिए

जूनून हो गया सवार
लिखू कुछ ख़ास
तुम्हारें लिए

जुड़ा मान सम्मान आपका
ठानें इसीलिए लिखेगें
तुम्हारें लिए

तुम अगर चले गए
नहीं सोचना आउंगी
तुम्हारें लिए

 छेड़ेगें मनचले तुम्हे सरेआम
खूबसूरती ढाकों जरा
तुम्हारें किये

बेपर्दा ना हो चलो
लफंगे हर कही
तुम्हारें लिए

चाहत थी देखो तुम
सोलह श्रंगार किया
तुम्हारें लिए

कही मुख ना मोड़ना
दुनिया छोड़ आई
तुम्हारें लिए

मौत का रास्ता रोका
ढाल बनी बस
तुम्हारें लिए

महफ़िल सारी तुम सजाओं
खुशियाँ हम बटोरें
तुम्हारें लिए

 रिश्तें नातें सब भूलू
याद बस तुम्हारीं
तुम्हारें लिए

मौत को दिया मात
जिन्दगी की आस
तुम्हारें लिए

 बहुत लड़ी मौत से
नहीं कोई पछतावा
तुम्हारें लिए

जिंदगी की छाव में
तुम्हारी बाहों में
तुम्हारें लिए

प्यारी आवाज तुम दो
हम ना आये
तुम्हारें लिए

मन से पुकारों तो
खड़े मिलेगें हम
तुम्हारें लिए

 मौत से लड़ते रहे
जिंदगी की चाह
तुम्हारें लिए

काम करो हमारे लिए
अपयश मिलता है
तुम्हारें लिए

नेता डाक्टर का नाम
पुलिस ही बदनाम
तुम्हारें लिए


सविता मिश्रा

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