ऐसा कुछ लिखने की चाहत जो किसी की जिंदगी बदल पाए ...मन के अनछुए उस कोने को छू पाए जो इक कवि अक्सर छूना चाहता है ...काश अपनी लेखनी को कवि-काव्य के उस भाव को लिखने की कला आ जाये ....फिलहाल आपको हमारे मन का गुबार खूब मिलेगा यहाँ ...जो समाज में यत्र तत्र बिखरा है ..| दिल में कुछ तो है, जो सिसकता है, कराहता है ....दिल को झकझोर जाता है और बस कलम चल पड़ती है |
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दिसंबर 01, 2012
बेवकूफ पति अपनी पत्नी को घर की मुर्गी साग बराबर समझतें है और दुखी रहतें और उसे भी दुःख देते है| तथा समझदार पति अपनी पत्नी को हूर की परी समझतें है खुद भी खुश रहतें है और उसे भी खुशियाँ ढेर सारी देतें है |...सविता मिश्रा
1 टिप्पणी:
बेनामी
ने कहा…
बहुत सुन्दर रचना है दिदी .......... एकदम सत्य कहा आपने ........ कुछ अपवाद भी साथ साथ रहता है जरुर ......... लेकिन समाज मे प्राय: यही देखने को मिलता है ..... नमन एवम प्रणाम .... के.के.पी/फूले
1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर रचना है दिदी .......... एकदम सत्य कहा आपने ........ कुछ अपवाद भी साथ साथ रहता है जरुर ......... लेकिन समाज मे प्राय: यही देखने को मिलता है .....
नमन एवम प्रणाम .... के.के.पी/फूले
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