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फ़रवरी 14, 2013

वेलेंटाइन-डे

वेलेंटाइन-वेलेंटाइन यही हैं सब रट रहें
क्या हुआ हमारी युवा पीढ़ी को जो भटक रहें|
सड़क चलतें,स्कूल-कालेज एवं पार्क में
ढूढ़ते अपना वेलेंटाइन है नजर आ रहें|
हर जगह हर कहीं अब तो यही
वेलेंटाइन-डे ही सब मना रहें|
विरोध करके कुछ लोग ना चाहतें हुए भी
इसी उपयोगिता और भी अधिक बढ़ा रहे|
मना करो बच्चों को कि यह मत करना कभी
और भी उत्साहित हूँ करतें हैं वह काम|
उसी तरह इसका विरोध कर रहे है जो विरोधी
स्वयं ही इसका ना चाहते हुए कर रहें हैं प्रचार|
विरोध ना करके इसका डालो मिट्टी इस पर
करो अपनी ही सभ्यता एवं संस्कृति का प्रचार|
जैसे भड़कती हुई आग जल्दी से नहीं होती शांत
उसी तरह यह भी युवाओं के मन में है धधक रही|
जितना ही रोकेगे रोक लगा इस वेलेंटाइन डे पर
उतना ही ज्यादा भड़केगी विकट रूप लेकर|
पुरानी कहावत है अपनी मिट्टी डालो
उसी को तुम विरोधी भी अपना लो|
अतः शांत हो सोचों एक नयी राह आज
विरोध बंद कर करो अपनी सभ्यता का आगाज|
जिस दिन करना छोड़ दोगे विरोध का तांडव
अपने आप ही शांत हो जायेगा यह फूहड़पन|....सविता मिश्रा

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