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मार्च 08, 2014

++एक दिन ही सही ++ (कौन सा ! कैसा महिला दिवस ! )


लो !!

पुनः आ गया नामाकूल 'महिलादिवस'
मनाओ ख़ुशी से या फिर रोकर
जैसे भी मनाना हो|
उपेक्षितों के लिए ....
निर्धारित है एक दिन
विशेष एक दिन देकर
कुछ उसे खुश कर देते हैं
और कुछ खुद भी खुश हो लेते हैं|

सिर्फ औपचारिकता और
दिखावे के लिए ही सही
इस पुरुष-प्रधान समाज में
हे नारी ! तुझे एक दिन मिला तो सही|
पुरुष वर्ग जानता है कि तू
थोड़े से ही खुश हो जाती हैं, अतः
तेरे लिए यह तिलस्मी-जादुई दिन
बना रक्खा हैं उसने |

अपने लिए उसने एक भी दिन नहीं रक्खा ..
देखा ना !!!
कितना महान हैं वह
जानता हैं सब दिन तो उसका ही हैं|
अतः नारी महान हैं !
यह कह..
आज यह दिन सभी मनाएंगे
वह भी जो इज्जत करते हैं
और वह भी जो रोज गालियाँ देते हैं|

मन में राम बगल में छुरी रखने वाले बहुत दिख जाएगें
नारी को पैर की जूती कहने वाले भी बढ़चढ़ कर मनाएगें|

खूब हर्षौल्लास से मनाओं सभी
क्योंकि पता नहीं फिर
मौका मिले या ना मिले!

अगले वर्ष शायद ...
तुम कही किसी कोने में सिसकियाँ लेती मिलो
या किसी के घर की बहू बन प्रताड़ित होती रहो
दुःख सहती हुई अपना मानसिक संतुलन खो दो
या किसी पागल खाने में अपना दिन काटती दिखो
या फिर अपने पति के इशारे पर कठपुतली बन फिरो
या जला दी जाओ सास-ससुर के द्वारा दहेज़ की बलि-वेदी पर
या नोंच ले तुम्हारे हाड़-मांस के शरीर को कोई दरिंदा
या तुम खुद तंग आ छोड़ जाओ इस बेदर्द दुनिया को
या एसिड से जला दिया जाए तुम्हारा गुलाब सा चेहरा
या बिना किसी गलती के भी तुम्हें मिलती रहें सजा
या खौफ़जदा हो तुम ना आ सको दुनिया के सामने
या गली मुहल्ले में बदनाम कर दी जाओ समाज के ठेकेदारों द्वारा
या गलती न होने पर भी मुहं छुपाती फिरो इस समाज से

कमजोर नहीं हो तुम किसी से...
पर साबित हो जाओ तुम कमजोर|
ऐसा माहौल हो जाए तैयार
तुम्हारे ही आस पास कि
तुम बिन बैसाखी के सहारे
बढ़ना ना चाहो आगे कभी
हर पगडंडी पर तुम्हें
घूरते दिख जाए कुछ भेंडियें|
तुम्हारा जीना हो जाए दुश्वार
इससे पहले ही मना लो इस दिवस को
कल किसने देखी हैं अतः
आज मना लो ख़ुशी से इस दिन को|
चलो हम भी मना ही लेते हैं इस एक दिन को
इसी लिए कहते हैं मुबारक हो महिला दिवस आप सभी को|....सविता मिश्रा



या देवी सर्व भूतेषु मात्रृ रूपेण संस्थिता1
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः !
जय माता दी .........


6 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

yeh lekh me bahot hi wastvikta prastut kee hi!

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

आभार आपका

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=682833345088257&id=422061857833776

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

https://www.facebook.com/photo.php?fbid=514018501969743&set=a.609248962446696.1073741833.100000847946357&type=3&src=https%3A%2F%2Ffbcdn-sphotos-f-a.akamaihd.net%2Fhphotos-ak-ash2%2Ft31.0-8%2F882647_514018501969743_2124365155_o.jpg&smallsrc=https%3A%2F%2Ffbcdn-sphotos-f-a.akamaihd.net%2Fhphotos-ak-xfa1%2Fv%2Ft1.0-9%2F269044_514018501969743_2124365155_n.jpg%3Foh%3D1f574ded7b95f761c02bce031481dc2a%26oe%3D551E26C9%26__gda__%3D1423530304_75de087f8dfd3aee8f05b799b15ecf95&size=2048%2C1536

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सटीक अभिव्यक्ति...शुभकामनाएं!

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

श्रवणकुमार उर्मलिया भैया ---

महिलाओं के पक्ष में सशक्त रचना है