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नवंबर 24, 2014

मुर्ख -

मुर्ख होता तो
समझ सोच कर
हर एक कदम

संभल संभल कर
सावधानी से बढ़ाता
पर गलती से
समझदार समझ बैठा
ओंधे
मुहं गिरा जब
उठाने को हाथ कम
हंसी उड़ाte daant jtada dikhe
समझदार था
अतः बहुत शर्मिंदा हुआ
मुर्ख होता तो उठता
हँस खुद पर ही
फिर आगे को
बढ़ चलता । सविता

1 टिप्पणी:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

कभी कभी मूर्ख होने में कोई बुराई नहीं है ...