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जुलाई 08, 2016

!!!बबूल का कांटा!!!

समझे तो सही! नहीं समझेंगे तो सुनेंगे!
बस एक सलाह - माने तो 
ठीक न माने तो भी खास फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन बस आप फ्रेंड लिस्ट से विदा हो जाएंगे। हमारी ही नहीं किसी भी स्त्री की फ्रेंड लिस्ट से। बबूल का कांटा किसे सुहायेगा भला, वैसे भी हम स्त्रियां कोमल स्वभाव की स्वामिनी तो हम सबको तो नहीं ही सुहायेगा। अतः बबूल का कांटा न बनिए!

हे फेशबुक वासियों! आप लोग जैसे दूसरे की फोटो कॉपी करके, मैंसेज में भेजते हैं या उसका दुरूपयोग करते हैैं, वैसे ही आपके माँ -बहन क़ी फोटो कोई  और ऐरा-गैरा कॉपी करके आपको या किसी और के मैसेज बॉक्स में या 
किसी की वाल पर या अपनी ही वाल पर चिपकाए तो कैसा लगेगा! और कुछ उटपटांग से लिख भी दे, तो फिर..! कैसा लगेंगा? शीशे के घरों में रहने वाले दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते भई!
मेहरबानी करके दूसरे की माँ-बहन की भी इज्जत करियें ! यदि अपनों की चाह रहे हैं तो। आप दूसरे के लिए यदि कुँआ खोद रहे हैं तो खाई आपके लिए भी कहीं न कहीं खुद ही रही होगी!!
ये भी तो एक प्रकार का क्राइम है...।..वकील बहुत हैं यहाँ फेसबुक पे..पर धारा कौन सी लागू होगी, शायद न बताएँ।   😊 क्योंकि पढ़ेंगे आकर या नहीं, कोई गारण्टी नहीं|अब  सब पोस्ट सबको दिखे ही, जरूरी तो नहीं।      😊😊
हम सब महिलाएँ तो आप कितने भी स्मार्ट हों, अच्छे से ड्रेसअप हों, या फिर और कोई और कारण हो! आपकी कोई भी तस्वीर शेयर नहीं करते हैं...। न ही मैंसेज बॉक्स में जाकर आपकी ही तस्वीर आपको भेजते हैं...!! आपकी तस्वीर पर ही कमेंट करके आते हैं। पर आपको शायद शर्म आती है महिलाओं की फोटो पर बोलने में। फोटो तो फोटो, पोस्ट पर भी बोलने में कातरते हैं, है न ?? पोस्ट को देखकर भी अनदेखा करना और मैसेज में जाकर बोलना 'बहुत अच्छा लिखती हैं आप....' क्या मतलब है इसका?हमें नहीं पता क्या! हम कितनी स्याही खराब करते हैं और कितने पेपर! हो सकें तो पोस्ट पर बोलें , राय दें, तो समझ आये! 
दौड़कर गुपचुप बॉक्स में मत पहुँचिए। औरतों की पोस्ट पर दो शब्द बोलने से आपकी इज्ज़त नहीं कम हो जाएगी!

मायावी फेेेसबुुुक की भूल-भुल्लया में
बड़ी मुश्किल से भरोसा करके आप सब को जोड़ने की हिम्मत जुटाते हैं हम, कृपया उस भरोसे को कायम रखिए। वैसे जब हम जैसे सामान्य लोगों के मैसेज में आप एक्का दुक्की ऐसे सिरफिरे टपक पड़ते हो, तो वे लोग कितना परेशान होते होंगे जो व्यूटी क्वीन हैं!! उन्हें तो आप सब जीने ही 
नहीं देंते होंगे!
जियो और जीनो दो भई! हम सब भी हाड़- मांस के पुतले हैैं आप सबकी ही तरह। आपके अहम् को ठेस पहुँचती है तो क्या अपना आत्मसम्मान नहीं है क्या कोई!
तस्वीर हमारे व्यक्तित्व की पहचान हैं । इस पहचान को कायम रखने के लिए तस्वीर लगाते हैं। आप सब से तारीफ पाने के लिए नहीं...। और यदि तारीफ पाना भी चाहेें तो इसमें बुरा भी क्या है! हम तस्वीर बदलें तो बुरा हुआ। आप बदलो तो भला! ये कैसा दोगलापन! जैसे कलम हमारे स्वभाव और लिखने की क्षमता की परिचायक ! उसी तरह तस्वीर  हमारे व्यक्तित्व की पहचान है। इसके जरिये हम अपनी पहचान कायम रखना चाहते हैं ! कोई लिखने वाला कहीं मिले तो पहचान सकें। हम भी कई को तस्वीर से ही पहचानते हैं, नाम तो एक से हो सकते न, पर तस्वीरें तो एक सी नहीं हो सकती।
तस्वीर पर यदि आप सब खूबसूरत कहते हैंं भी तो यक़ीन मानिये बहुत आड फील होता है! समय के साथ अब आदत पड़ गयी है। उ क्या है न कि हम स्त्रियाँ तारीफ अवश्य सुनना चाहती हैं पर अपने परिवार वालों से दूसरों  से सुनने में बड़ा अटपटा सा लगता है। यहाँ भले सुन ले रहे हैं ! क्योोंकि किकिकिकिकि धन्यवाद भी ज्ञापित कर रहें ! पर सामने कोई बोले तो बोलती बंद रहती !!!
वैसे भी आप सबने ध्यान दिया हो तो, हमारी तस्वीर पर सामान्य कमेंट के अलावा महत्वपूर्ण रूप से आशीष ही होता हैं बड़ो का!!! प्लीज मेहरबानी होगी आप सभी क़ी कि ऐसी हरकत न करें जिससे हम स्त्रियोँ को परेशानी हो!!!ये मत समझिये कि आप में कई हमारे लिए बबूल का कांटा बनते रहेंगे और हम स्त्रियाँ उस कांटे का दंश झेलते रहेंगी | बदले में हम भी काँटा बन सकतें, पर हम नीचे गिर कर, नीचे गिरें हुए को ऊपर उठाने में कोई रूचि न रखते |
Fb पर लेखन उद्देश्य से जुड़े है हम वहीं  करने दीजिए शांति से!!!!!खुद सभ्यता से जीये और हमें भी चैन से जीने दें!!!हम्बल रिकवेस्ट है आप सब ऐसों -वैसों से !!!!
कई कहते औरतों  को तस्वीर ही नहीं डालनी चाहिए!!!क्यों भई गलत करो आप और भुगते हम!!!आप में तो यह भी सोचतें  कि औरतों को घर से बाहर ही न निकलना चाहिए....नियत हो आपकी खोटी और औरतें  रहें कैद में ये कैसा न्याय!!!!न्याय पर पट्टी अवश्य बन्धी , जानता समझता वह भी है!!!!

सुबह-सुबह मेसेज में फिर एक बार अपनी तस्वीर देख सनक गया दिमाग.....|देखिए आप में कुछ के कारण कितना समय बर्बाद हुआ हमारा खामख़ाह!!!!क्योंकि मालूम है आप सब के सर पर जूं भी न रेंगेगी!!!!आप सब पत्थर के बने, न,न पत्थर भी न, क्योंकि उसको गढ़ खूबसूरत मूर्ति बनाई जा सकती है!!पर आपको न क्योंकि कुछेक लोना लगे पत्थर (मानसिक रोगी) है, जिन्हें तराशा नहीं जा सकता !!मेहरबानी करके बबूल कांटा न बनिए| नाम कमाने का अच्छा प्लेटफार्म मिला हैं सभी को उसका सदुपयोग कीजिए | दुरूपयोग कर अपना नाम,संस्कार और संस्कृति मिट्टी में न मिलाइए |
माना तस्वीर शेयर कर आपने ऐसा कुछ न कहाँ कि हमारा खून उबले पर फिर भी आप बिना तस्वीर मेसेज में या वाल शेयर कर भी बात कह सकते थें !!!!!ख्याल रहें इज्जत देंगे तो ही पायेंगे!!! ...........सविता 'एक दुखित आत्मा'

2 टिप्‍पणियां:

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " मज़हबी या सियासी आतंकवाद " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

बहुत बहुत शुक्रिया आपका तहेदिल से!!!!