१....
वो थे कुछ और दिखाते कुछ और ही रहें
खौफ नहीं उन्हें छुपाते कुछ और ही रहें
चेहरे की भावभंगिमा से समझना मुश्किल
दुःख था मगर लुटाते कुछ और ही रहें| सविता
२.....
मेरी तन्हाईयाँ आज पूछती है मुझसे
कुछ तो कमी थी जो दूर हुए तुम मुझसे|
क्षण भर ही सही पलट कर फिर आ जाओ
भूल सब गले से लिपट रो लुंगी मैं तुझसे| सविता
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें