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अगस्त 27, 2014

~कुछ यूँ ही ~

१....
वो थे कुछ और दिखाते कुछ और ही रहें
खौफ नहीं उन्हें छुपाते कुछ और ही रहें
चेहरे की भावभंगिमा से समझना मुश्किल
दुःख था मगर लुटाते कुछ और ही रहें|  सविता

२.....
मेरी तन्हाईयाँ आज पूछती है मुझसे

कुछ तो कमी थी जो दूर हुए तुम मुझसे|
क्षण भर ही सही पलट कर फिर आ जाओ

भूल सब गले से लिपट रो लुंगी मैं तुझसे|
सविता

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