आज दिल किया कि कुछ खास लिखूँ ,
अपने अन्तःमन में दबे अहसास लिखूँ |
छोटी-छोटी बातों से दिल पर हुए जो आघात लिखूँ ,
या नासूर बन गए जो उन जख्मों का हाल लिखूँ |
प्यार के अहसास की खुशफहेमियां लिखूँ ,
या व्यंग बाण की चुभन की तकलीफ लिखूँ |
जो दिल पर हमारे घाव कर निकल गए ,
उनके लिए निकली दिल से जो बद्दुआयें लिखूँ |
या प्यार से संजोया जिसने हमको रात-दिन ,
उनके लिए निकलती रोज दिल से जो दुआएं लिखूँ |
किसी की मदद कर जो दिव्य-अनुभूति हुई ,
उस अहसास को पिरो शब्दों के जाल लिखूँ |
या उसने जो दुआएं दी उससे खुद को हुई ,
जो सुखद अनुभूति उसका अहसास लिखूँ |
आज दिल कर रहा है कुछ खास लिखूँ ,
अपनी ही अहसासों के जज्बात लिखूँ |
||सविता मिश्रा ||
अपने अन्तःमन में दबे अहसास लिखूँ |
छोटी-छोटी बातों से दिल पर हुए जो आघात लिखूँ ,
या नासूर बन गए जो उन जख्मों का हाल लिखूँ |
प्यार के अहसास की खुशफहेमियां लिखूँ ,
या व्यंग बाण की चुभन की तकलीफ लिखूँ |
जो दिल पर हमारे घाव कर निकल गए ,
उनके लिए निकली दिल से जो बद्दुआयें लिखूँ |
या प्यार से संजोया जिसने हमको रात-दिन ,
उनके लिए निकलती रोज दिल से जो दुआएं लिखूँ |
किसी की मदद कर जो दिव्य-अनुभूति हुई ,
उस अहसास को पिरो शब्दों के जाल लिखूँ |
या उसने जो दुआएं दी उससे खुद को हुई ,
जो सुखद अनुभूति उसका अहसास लिखूँ |
आज दिल कर रहा है कुछ खास लिखूँ ,
अपनी ही अहसासों के जज्बात लिखूँ |
||सविता मिश्रा ||
1 टिप्पणी:
सुन्दर एवं सारगर्भित रचना, बहुत-बहुत बधाई।
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