गुरुत्वाकर्षण का नियम कहिये या मंथरा जैसे लोगों की उपलब्धी .....!! बुराई जहाँ, जिससे शुरू होती हैं, घूम फिर के फिर वहीं आ जाती है ....!! बस उसमें नमक मिर्च और हाँ खटाई भी लग जाती है ......!!
उदाहरण बताते चले ...!
जैसे आपने कहा 'यार शर्माइन बड़ी कंजूस हैं, इतने घटिया कपड़ें या चीजें उपहार देती है कि जी करता है कि किसी को दे दे! पहनने लायक होते ही नहीं ....!!
यह बात दुसरे के पास फिर तीसरे के पास पहुंची .......! तीसरे से फिर शर्माइन के पास और शर्माइन फिर गुस्से में तमतमा आपसे आकर बोलेगी कि "तुमने कहा कि हम (शर्माइन) बड़ी कंजूस हैं, इतने घटिया कपड़ें या चीजें उपहार देते हैं कि तुम्हारा जी करता है कि मुहं पर हमारे ही फेंक दो .... ! हम लेने को चाहते है कि कोई हजारों की दे और खुद सौ की भी देने में माई मरती हैं हमारी ....! कैसे कहा ऐसा तुमने ....?"
हिदायत :) कोई शर्माइन मुहँ न फुलाना ....जो कोई शर्मा शर्माइन हो यहाँ :) सविता
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