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नवंबर 21, 2012

= कुछ अच्छा हुआ तो सही =


बाहरी राक्षस का अंत| ना जाने क्यों यह सोच सुखद अनुभूति हुयी कि उसके हाथों मरने वाले लोगों की आत्मा को शांति पहुंची| पर फिर भी दिल की गहराइयों में एक हलचल मची है ,कि आखिर हम खुश है या बस एक खुश होने का महज दिखावा है मात्र, क्योकि अभी तो बहुत सारेअपने ही देश के अन्दर बैठे है |अपनी ही जननी (भारत माता) को नोंच खसोंट रहे हैं |उनका अंत हो तो शायद ख़ुशी की पराकाष्ठा हो| परन्तु ऐसा तो होने से रहा अतः एक मच्छर के मरने से ही खुश होले, खटमलों को खून चूसने दे उनका भी अंत होगा ही कभी ना कभी इस आशा में ....सविता मिश्रा

मुंबई में 26/11 के हमलों के दोषी अजमल कसाब को बुधवार की सुबह पुणे की यरवडा जेल में फांसी दे दी गई है. इससे पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनकी दया याचिका ख़ारिज कर दी थी

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