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अगस्त 30, 2013

“”रक्षा-बंधन””

शुभ कामनाएं आप सभी को “”रक्षा-बंधन”” त्योहार की ..

कोई भूला ...कोई याद रहा .....किसी ने हमें याद किया कोई भुला गया......:)

कवच राखी
रिश्ता भाई बहन 
स्नेह बंधन| सविता मिश्रा

इसे मायावी कहे या आभासी कहे ! फेसबुक पर बहुत से अपने मिले, जो हमें बहन जैसा ही मानते हैं| बहुत वो लोग भी हैं जिन्हें हम संबोधित करतें हैं| पर कहते हैं ना ताली दोनों हाथों से बजती है, एक हाथ से तो बस चुटकी ही बजाई जा सकती है |.....
उन सभी स्नेहिल भाइयो को! जो छोटे हैं, ढेर सा स्नेह के साथ आशीष -इस बहन की तरफ से, और हमारे बड़े भाइयो को! ढेर सारी दुआओं के साथ सादर नमस्ते पहुँचे ...|

हम जानते हैं, जिन्होंने कहा राखी कहाँ हैं ? उन्हें उम्मीद होगी, कि हम राखी भेजेंगे|  हम उन्हें जरुर कहना चाहेगें कि.. माना राखी का धागा एक रिश्ते को और भी प्रगाढ़ बनाता है |  पर संभव ना हो सका उस धागे को आप तक पहुँचाना | लेकिन दिल है कि प्रगाढ़ता महसूस करता है, यह दिल मानता कब है यह तो सामने वाले के व्योहार का गुलाम बन जाता है हमेशा | और शायद तभी धोखे भी खाता है | खैर रिश्ता और धोखा दोनों एक सिक्के के दो पहलु की तरह है जो साथ साथ रहने की कसम खाए हुए है | वैसे हम इस पावन त्यौहार पर यह बकवास क्यों करने लगे | हम तो स्नेह की बात करेंगे, भाई बहन के पवित्र रिश्तें की बात करेंगे| 

इसी आभासी दुनिया के जरिये ही हम, आप सभी को भाव से राखी बाँध यह वचन लेना चाहते हैं कि आप भारत की बहनों की रक्षा में कभी भी पीछे नहीं हटेगें और ना ही भूले से भी किसी की बहन का अपमान करेगें ....|

जो दुसरे के साथ करता है, वही उसके साथ हो तब उसे अपनी गलती का अहसास होता है, यदि ऐसी गलती करने से पहले ही अहसास कर लें सब  तो कुछ तो सुधार हो ही जायेगा......|

>हम कई बार कह चुके हैं जरुरी नहीं है, खून के रिश्ते ही सब कुछ हों | कभी कभी दिल के रिश्ते भी उतने ही मजबूत और करीब होते हैं जितने खून के ...|

जहाँ तक राखी का इतिहास पढ़ा गैरों को ही इस पवित्र बंधन में बांध अपना बनाया गया ..|
.बलि-लक्ष्मी, सिकंदर की पत्नी और पुरु, कृष्ण और द्रोपदी, राखी और हुमायूँ ...|

दो लाइन अधूरी सी कहना चाहेगें ....

दिल से इतना अधिक लगा लिया ..
खून के रिश्ते से भी अधिक बना लिया |..........सविता मिश्रा....


राखी का त्यौहार एक पवित्र त्योहार है | भाई बहन के रिश्तों को और भी मजबूत करने वाला त्यौहार है | पर आज के ज़माने में भाई कि यह वाणी कि "दो पैसे की राखी लायी हो" दिल को चीर कर रक्ख देती है ....बहन भी भाई को राखी बाँध भाई के प्यार से दिए हुए उपहार को जब पैसो में तौल देती है ..कितना दुख होगा भाई को | ....................मुख से निकली वाणी दिल को कितना आघात पहुंचाती है ...किसी को क्या पता जब तक वह खुद ही भुक्त-भोगी न बने |...............यह वही समझेगा जो इस परिस्थिति से गुजर चूका होगा कभी ...........

लाख टके की हो या हो दो टके की
प्यार भरा है इसमें अनमोल भैया
कलाई पर जब यह सज जाती है
सब रिश्तों पर भारी पड़ जाती है |

भले ही भौतिकतावाद का युग है | रिश्ते बेमानी से हो गए है| पर दिल के एक कोने में कहीं  आज भी मानवता जिन्दा है| उसे झकझोरियें और अपने आप को पहचान कर रिश्तों को मान सम्मान दीजिए | वर्ना हममें और जानवरों में क्या फर्क रह जायेगा .....!  अवश्य ही सोचियेगा हमारे भाइयों  -बहनों और बच्चों ............!

बुजुर्गो को नहीं कहेंगे क्योंकि वही तो हमारी प्रेरणा है ..हमारे मार्गदर्शक है ...पथप्रदर्शक को ही रास्ता दिखाने कि मूर्खता हम बिलकुल नहीं करना चाहेंगे .............................| :)

सविता धागा प्यार का लो तुम कलाई पर अपनी बधाय
करेगी तुमरी रक्षा राखी, बहना लेगी तुमरी हर बलाय |
सविता मिश्रा
प्रेम का राग अलापा ऐसा आज
बुझ गई नफरत की देखा आग | सविता उवाच ...कुछ ऐसा राग आप सब भी छेड़िए मेरे प्यारे भारतवासियों :) :)

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